
Up Kiran, Digital Desk: देश के बजट से पहले अक्सर वित्त मंत्री अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं ताकि उनकी बात सुनकर बजट में ज़रूरी फैसले लिए जा सकें। इसी सिलसिले में हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी आजकल काफी बिज़ी हैं। खबर यह है कि वे देश के कुछ बहुत बड़े उद्योगपतियों और बिज़नेस लीडर्स से मिल रही हैं।
इस बैठक का मुख्य मुद्दा है हमारा गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, जिसे हम सब GST के नाम से जानते हैं। GST लागू होने के बाद इसने बिज़नेस करने का तरीका काफी हद तक बदल दिया है। लेकिन, समय-समय पर इसमें सुधार की ज़रूरत महसूस होती है ताकि इसे और ज़्यादा आसान और कारगर बनाया जा सके।
वित्त मंत्री जी उद्योगपतियों से यह जानने के लिए मिल रही हैं कि उन्हें GST सिस्टम में क्या दिक्कतें आ रही हैं, इसे कैसे और सरल बनाया जा सकता है, टैक्स भरने के नियमों को कैसे आसान किया जाए, और क्या टैक्स की दरों में कोई बदलाव या उन्हें तर्कसंगत (rationalize) बनाने की ज़रूरत है।
ज़रा सोचिए, जो लोग असल में हर दिन बिज़नेस चला रहे हैं, GST के नियमों से जूझ रहे हैं, उनकी राय सरकार के लिए कितनी अहम होगी! उनकी परेशानियों और सुझावों को सुनकर ही सरकार ऐसे बदलाव ला सकती है जो सभी के लिए फायदेमंद हों।
यह बैठकें इस बात का संकेत हैं कि सरकार GST सिस्टम को लगातार बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है। वे उद्योग जगत की आवाज़ सुनना चाहती है ताकि आने वाले बजट और भविष्य की GST काउंसिल की बैठकों में सही फैसले लिए जा सकें। उम्मीद है कि इन चर्चाओं से कुछ ऐसे ठोस सुझाव निकलेंगे जिनसे GST सिस्टम और ज़्यादा पारदर्शी, कुशल और बिज़नेस-फ्रेंडली बन सके। यह हम सबके लिए अच्छा होगा, क्योंकि जब बिज़नेस आसानी से होता है, तो अर्थव्यवस्था भी तेज़ी से आगे बढ़ती है।
--Advertisement--