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Up Kiran, Digital Desk: भारत के युवा बल्लेबाज शुभमन गिल ने इंग्लैंड दौरे पर न सिर्फ अपनी छवि बनाई, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए उम्मीदों का नया सवेरा भी जगाया है। जब टेस्ट क्रिकेट की दुनिया में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे बड़े नाम मैदान से दूर थे, तब गिल ने टीम की कमान संभाली और एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरते हुए अपनी बल्लेबाज़ी से दर्शकों के दिल जीत लिए।
भारत की टेस्ट टीम के लिए यह इंग्लैंड दौरा एक नया अध्याय था—जहाँ न केवल नए कप्तान का नेतृत्व परीक्षा में था, बल्कि टीम के अनुभवहीन होने की वजह से आलोचनाएँ भी तेज थीं। शुभमन गिल ने इस दबाव को अपने प्रदर्शन से पीछे छोड़ दिया। उन्होंने इस सीरीज़ में 754 रन बनाए, जो किसी कप्तान द्वारा एक टेस्ट सीरीज़ में हासिल किए गए दूसरे सबसे अधिक रन हैं। इस उपलब्धि ने गिल को क्रिकेट के महानतम कप्तानों की सूची में डॉन ब्रैडमैन के बाद दूसरा स्थान दिलाया है। साथ ही, यह किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा एक सीरीज़ में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भी है।
गिल की बल्लेबाज़ी की खास बात रही उनकी लय और मानसिक मजबूती। लीड्स टेस्ट में पहला शतक उनके जुझारूपन का संकेत था, जबकि दूसरे टेस्ट में उनका दोहरा शतक (269 और 161) एक ऐतिहासिक प्रदर्शन था, जिसने टीम को बड़े अंतर से जीत दिलाई। ऐसे पलों ने भारतीय क्रिकेट में नए कप्तान की स्थिरता और नेतृत्व क्षमता को परखा।
हालांकि, हर सफलता के साथ चुनौतियाँ भी आईं। लॉर्ड्स टेस्ट में गिल की फॉर्म में गिरावट आई और इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज ज़ैक क्रॉली के साथ उनकी बहस की खबरें भी आईं, जिसने इस युवा खिलाड़ी के चरित्र पर सवाल उठाए। परंतु, गिल ने खुद को संयमित रखते हुए टीम के लिए अहम क्षणों में वापसी की। खासकर अंतिम टेस्ट में जब भारत हार के करीब था, तब गिल ने केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर मैच ड्रॉ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा, गिल ने गेंदबाजी विभाग का भी शानदार प्रबंधन किया। जब परिस्थितियाँ स्पिनरों के पक्ष में नहीं थीं, तब उन्होंने तेज गेंदबाजों की स्मार्ट रोटेशन से इंग्लैंड पर दबाव बनाए रखा और टीम को जीत दिलाई। टीम में स्पिनरों के चयन और तेज गेंदबाज़ी के संतुलन पर उठे सवालों के बीच, गिल का आत्मविश्वास और निर्णायक नेतृत्व टीम के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
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