Up Kiran, Digital Desk: बिहार के लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में आज का दिन उन ग्रामीणों के लिए उम्मीदों से भरा है, जो वर्षों तक लोकतंत्र से दूरी महसूस करते रहे। चानन प्रखंड के चार गांवों में पहली बार लोग अपने ही गांव में मतदान कर रहे हैं, जो न केवल प्रशासनिक बदलाव का संकेत है बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण की मिसाल भी।
ग्रामीणों को मिली राहत, नहीं करनी पड़ेगी कठिन यात्रा
पहले इन इलाकों के मतदाताओं को मतदान के लिए पहाड़ी रास्तों और जंगलों से होकर छह से दस किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था। यह सफर बुजुर्गों और महिलाओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता था। लेकिन इस बार उन्हें अपने गांव में ही वोट डालने की सुविधा मिली है, जिससे मतदान में भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।
नक्सल प्रभाव खत्म, अब गूंजेगी ईवीएम की आवाज
कछुआ और बासकुंड जैसे गांव, जो कभी नक्सल गतिविधियों के केंद्र माने जाते थे, अब मतदान के लिए तैयार हैं। इन गांवों में पहली बार ईवीएम की आवाज सुनाई देगी। प्रशासन ने इन क्षेत्रों को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया है और सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। जिले के 56 मतदान केंद्रों को पहले नक्सल प्रभावित माना जाता था, लेकिन अब माहौल काफी बदल चुका है।
बहाल हुए पुराने मतदान केंद्र, लौटे लोकतंत्र के रंग
पिछले लोकसभा चुनाव में सुरक्षा कारणों से पांच मतदान केंद्रों को मैदानी इलाकों में स्थानांतरित कर दिया गया था। अब हालात सामान्य होने पर चुनाव आयोग ने इन्हें फिर से उनके मूल स्थानों पर बहाल कर दिया है। इनमें चानन प्रखंड के दो प्रमुख केंद्र शामिल हैं—केंद्र संख्या 407 (सामुदायिक भवन, कछुआ) जहां 363 मतदाता हैं और केंद्र संख्या 417 (उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बासकुंड-कछुआ) जिसमें 495 मतदाता पंजीकृत हैं।

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