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धर्म / अध्यात्म डेस्क। मन से ही मनुष्य का जीवन संचालित होता है। मनुष्य के मन पर सर्वाधिक प्रभाव चन्द्रमा का पड़ता है। चन्द्रमा के घटते-बढ़ते क्रम की तरह मनुष्य का मन भी गतिमान रहता है। ऋगवेद के पुरुष सूक्त में कहा गया है, 'चन्द्रमा मनसो जातः, चक्षोः सूर्यो अजायत।’ मानव मन पर चन्द्रमा का प्रभाव समझने के लिए जन्मपत्री में चन्द्रमा की स्थिति एवं आकाश में चन्द्रमा के गोचर का अध्ययन जरूरी है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सृष्टि में सूर्य और चन्द्रमा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है। चन्द्रमा मनुष्य की जन्म राशि अर्थात् चन्द्र राशि को निर्धारित करता है। जन्मांग में मन की स्थिति को चन्द्रमा अभिव्यक्त करता है। चन्द्रमा शीतल, सौम्य, चंचल एवं गतिशील होता है। यह लगभग सवा दो दिन एक राशि पर संचार करता है। इस तरह एक माह में सभी बारह राशियों तथा सत्ताइस नक्षत्रों पर संचार कर लेता है।

शास्त्रों के अनुसार सफलता के लिए मन का बलवान होना और मन के लिए चन्द्रमा का बलवान होता आवश्यक है। चन्द्रमा के प्रभाव से ही मन चंचल होता है। मन या चित्त की एकाग्रता चन्द्रमा से ही निर्धारित होती है। भौतिक या आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता के लिए मन निर्मल व पवित्र होना चाहिए। ‘चित्त की अद्विग्नता व्यक्ति के विकास और सफलता के मार्ग में बाधक है।

कुंडली में चन्द्रमा के कमजोर होने से अपेक्षित सफलता नहीं मिलती। सभी महापुरुषों की सफलता में चन्द्रमा का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।  चन्द्रमा की राशि कर्क है। यह वृषभ राशि में उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है। चन्द्रमा पाप ग्रह से युति एवं क्षीण होने पर अशुभ फल देता है। ज्योतिषियों के अनुसार चन्द्रमा की स्थिति आयु तथा स्वास्थ्य निर्धारण में अति महत्वपूर्ण होती है। 

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