Up Kiran, Digital Desk: इंग्लैंड के चर्च ने 500 साल के अपने इतिहास में एक नया और ऐतिहासिक अध्याय लिख दिया है। पहली बार, एक महिला को चर्च के सर्वोच्च पद, कैंटरबरी के आर्कबिशप (Archbishop of Canterbury), के लिए चुना गया है। इनका नाम है सारा मुलेली, और उनकी नियुक्ति के साथ ही सदियों पुरानी परंपरा टूट गई है।
कौन हैं सारा मुलेली: सारा मुलेली, जो अब तक लंदन की बिशप थीं, अब दुनिया भर के लाखों एंग्लिकन ईसाइयों की आध्यात्मिक नेता होंगी। उनकी कहानी और भी ज़्यादा दिलचस्प है। चर्च में इतने बड़े पद पर पहुँचने से पहले, सारा ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) में एक वरिष्ठ नर्स अधिकारी थीं। उनका चर्च में करियर बाद में शुरू हुआ, और उन्होंने अपनी लगन और नेतृत्व क्षमता से यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया।
क्यों है यह नियुक्ति इतनी बड़ी बात: चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की स्थापना 16वीं सदी में हुई थी, और तब से लेकर आज तक इस पद पर हमेशा कोई पुरुष ही रहा है। सारा मुलेली का इस पद पर चुना जाना सिर्फ़ एक नियुक्ति नहीं है, बल्कि यह चर्च के आधुनिकीकरण और बदलते समय के साथ चलने का एक बड़ा संकेत है।
आगे की राह काँटों भरी: लेकिन सारा के लिए यह ताज काँटों भरा हो सकता है। चर्च इस समय कई बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है:
घटती हुई संख्या: चर्च में आने वाले लोगों की संख्या लगातार कम हो रही है।
अंदरूनी मतभेद: समलैंगिक विवाह जैसे मुद्दों पर चर्च के अंदर ही गहरे मतभेद हैं।
युवाओं से दूरी: चर्च आज की युवा पीढ़ी से जुड़ने में संघर्ष कर रहा है।
माना जा रहा है कि सारा को उनकी आधुनिक सोच, लोगों को जोड़ने की क्षमता और ज़मीन से जुड़े होने के लिए इस पद के लिए चुना गया है। अब पूरी दुनिया की नज़रें उन पर हैं कि क्या वह चर्च को एक नई राह दिखा पाएंगी और बदलते समय के साथ उसे फिर से प्रासंगिक बना पाएंगी।
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