Up Kiran, Digital Desk: एक ऐसी ख़बर जो हर भारतीय का दिल गर्व से भर देगी केरल ने वो कर दिखाया है जो अब तक सिर्फ़ एक सपना लगता था। राज्य के स्थापना दिवस (1 नवंबर) के ऐतिहासिक मौके पर, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने आधिकारिक तौर पर ऐलान किया कि केरल अब 'अत्यधिक गरीबी मुक्त' राज्य बन गया है।
इस घोषणा के साथ ही, केरल यह अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल करने वाला भारत का पहला राज्य और चीन के बाद दुनिया का दूसरा क्षेत्र बन गया है। तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में हुए इस भव्य समारोह में पूरा राज्य जैसे एक साथ जश्न मनाने उमड़ पड़ा था, जहाँ मंत्रियों से लेकर फ़िल्मी हस्तियों तक, हर कोई इस ऐतिहासिक पल का गवाह बना।
क्या है 'अत्यंत गरीबी मुक्त' होने का मतलब?
यह सिर्फ़ एक सरकारी नारा नहीं है, इसके पीछे एक बहुत गहरा मतलब छिपा है। 'अत्यधिक गरीबी' उस स्थिति को कहते हैं जब कोई इंसान या परिवार अपनी ज़िंदगी की सबसे बुनियादी ज़रूरतें जैसे - दो वक़्त का खाना, सिर पर छत, स्वास्थ्य, शिक्षा और कपड़े - भी पूरी नहीं कर पाता।
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक़, जो इंसान हर दिन 2.15 डॉलर (क़रीब 180 रुपये) से भी कम में गुज़ारा कर रहा है, वह अत्यधिक ग़रीब है। लेकिन भारत की नीति आयोग इसे सिर्फ़ आमदनी से नहीं देखती, बल्कि यह भी देखती है कि किसी को पौष्टिक खाना, रहने को घर, साफ़-सफ़ाई और शिक्षा जैसी चीज़ें मिल रही हैं या नहीं। केरल ने इन्हीं सभी पैमानों पर ग़रीबी को मात दी है।
केरल ने यह नामुमकिन काम मुमकिन कैसे किया?
यह कोई एक दिन का जादू नहीं, बल्कि सालों की मेहनत और एक बहुत ही शानदार प्लान का नतीजा है। इस सफ़र की कहानी 2021 में 'अत्यधिक गरीबी उन्मूलन परियोजना' के साथ शुरू हुई थी।
प्लान सीधा और सरल था - पूरे राज्य में घर-घर जाकर एक-एक उस परिवार को ढूंढना जो इस हालत में जी रहा और फिर हर परिवार के लिए उसकी ज़रूरत के हिसाब से एक अलग प्लान बनाना।
इस काम को अंजाम दिया केरल की असली हीरो, यानी कुटुंबश्री और आशा की कार्यकर्ताओं ने। इन हज़ारों महिलाओं ने 3-4 महीनों तक पूरे राज्य का कोना-कोना छान मारा और 64,006 ऐसे परिवारों (जिनमें 1,30,009 लोग थे) की पहचान की, जिन्हें मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।
एक बार पहचान हो जाने के बाद, सरकार ने कोई एक 'सबके लिए एक जैसी' योजना नहीं बनाई। बल्कि, हर परिवार की ज़रूरत को समझा:
- किसी को रहने के लिए घर चाहिए था, तो किसी को इलाज की ज़रूरत थी।
- किसी को अपना काम शुरू करने के लिए आर्थिक मदद दी गई, तो किसी को पेंशन और सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया।
इस पूरे मिशन की रीढ़ की हड्डी बना 'कुटुंबश्री' आंदोलन, जो आज दुनिया में 45 लाख से ज़्यादा महिलाओं का सबसे बड़ा संगठन है।
असली ताक़त - लोगों के हाथ में
केरल की इस कामयाबी का सबसे बड़ा राज़ है उसकी विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था। इसका मतलब है कि वहाँ की सरकार ने सारी ताक़त अपने पास रखने की बजाय, उसे पंचायतों और नगर पालिकाओं के हाथ में दे दिया। इससे योजनाओं को लागू करने में न तो कोई देरी हुई और न ही कोई भ्रष्टाचार हुआ, क्योंकि फ़ैसले वही लोग ले रहे थे जो ज़मीन पर लोगों के बीच काम कर रहे थे।
यह मॉडल साबित करता है कि जब सरकार, समाज और ख़ासकर महिलाएँ एक साथ मिलकर काम करती हैं, तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं होता

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