img

SC on freebies: बीते कई सालों में सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने के लिए आवश्यक वस्तुओं से लेकर नकदी तक हर चीज देने का वादा किया है। इसलिए सत्ता में आने के बाद सभी सरकारों में जन कल्याणकारी योजनाओं की आड़ में जनता को मुफ्त सुविधाएं बांटने का चलन शुरू हो गया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने आज इन मुफ्त सुविधाओं पर कड़ी टिप्पणी की है।

शहरी क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त योजनाओं पर कड़ी टिप्पणी की है। लोग मुफ्त चीजों के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं। लोगों को बिना काम किये पैसा मिल रहा है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय ने ये राय व्यक्त की है कि उन्हें मुख्यधारा में लाना प्राथमिकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों के आश्रय के अधिकार से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव से पहले घोषित मुफ्त सुविधाओं, जिनमें मुफ्त भोजन और पैसा देने की बात कही जाती है, उसके कारण लोग काम करने से बच रहे हैं।

न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि दुर्भाग्य से ये मुफ्त सुविधाएं लोगों को कामचोर बना रही हैं। उन्हें मुफ्त भोजन मिल रहा है। हम लोगों के प्रति आपकी चिंता को समझते हैं। लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाया जाए और उन्हें राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन अभियान को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह केंद्र से जानकारी मांगें कि शहरी गरीबी उन्मूलन अभियान को प्रभावी होने में कितना समय लगेगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।