img

इंदौर के पास महू चाहे वह बाबासाहेब अंबेडकर का जन्मस्थान हो, लंदन में उनका निवास हो, देशभर के स्टेडियम हों या रेलवे स्टेशन, कॉलेज, अस्पताल और उनकी भव्य प्रतिमाएं हों, उनके स्मारक आज संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर की विरासत के प्रमुख गवाह हैं।

संविधान तैयार होने तक डॉ. अंबेडकर की कड़ी मेहनत उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता बनाती है। डॉ. आंबेडकर की 100वीं जयंती पर मध्य प्रदेश सरकार ने 1991 में महू में उनका भव्य स्मारक बनवाया। नागपुर में दीक्षाभूमि और दादर में चैत्यभूमि, दोनों स्मारक सभी के लिए प्रेरणा के स्थान बन रहे हैं। अम्बेडकर की प्रतिमा को 'सामाजिक न्याय की प्रतिमा' के नाम से जाना जाता है।

लंदन के आवासीय पर्यटक आकर्षण

डॉ. अंबेडकर 1921-22 के दौरान लंदन में जिस आवास में रहे थे। वो आज दुनिया भर में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इस आवास का उद्घाटन 2015 में किया गया तथा इसे स्मारक का दर्जा दिया गया।

दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र: डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र आज सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए अध्ययन, अनुसंधान, विश्लेषण और नीति निर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है।

कनिका हाउस का महत्व: डॉ. अंबेडकर ने कनिका हाउस में रहते हुए संविधान का मसौदा तैयार किया था। कानून मंत्री के रूप में वे इसी कनिका हाउस में रहते थे।

डॉ. अंबेडकर के नाम पर कई विश्वविद्यालय

भारत के बाहर डॉ. अंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा 2023 में अमेरिका के मैरीलैंड में स्थापित की गई। समानता का संदेश देने वाली ये प्रतिमा 19 फीट ऊंची है।

डॉ. ने संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय, जापान में कोयासन, कनाडा में समीन फ्रेजर विश्वविद्यालय और यूनाइटेड किंगडम में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाया है। आज भी अम्बेडकर की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।

भारत में आज महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, बिहार जैसे कई राज्यों में अंबेडकर की शिक्षाएं दी जा रही है। अंबेडकर के नाम पर विश्वविद्यालय बनाए जा रहे हैं।

तेलंगाना समेत कुछ राज्यों में डॉ. अंबेडकर के नाम पर राजनीतिक पार्टियां भी मौजूद हैं। महू रेलवे स्टेशन, मुंबई मोनोरेल स्टेशन तथा हैदराबाद और बेंगलुरु मेट्रो स्टेशन भी आज खुले हैं। अम्बेडकर के नाम से जाने जाते हैं।