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Up Kiran Digital Desk: बिहार के फारबिसगंज से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने न केवल मानव तस्करी की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि एक ईमानदार पुलिसिया कोशिश कैसे किसी की ज़िंदगी को अंधेरे से निकालकर फिर से रोशनी की ओर ले जा सकती है।

हरियाणा से ट्रेन में नशा सुंघाकर अगवा की गई एक किशोरी को एक संगठित देह व्यापार गिरोह ने जबरन रेड लाइट एरिया में धकेलने की कोशिश की। लेकिन समय रहते पुलिस ने छापेमारी कर उसे सकुशल बरामद कर लिया।

घटना की शुरुआत: नशे से बेहोशी तक

बताया जा रहा है कि यह लड़की हरियाणा में रह रही थी। एक दिन उसे ट्रेन में नशा सुंघाकर अगवा कर लिया गया। इसके बाद उसे बिहार के कई जिलों—किशनगंज, सहरसा, सुपौल—में लगातार ठिकाना बदलते हुए रखा गया।

गिरोह ने लड़की को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उसे डराया गया, धमकाया गया और देह व्यापार के लिए मजबूर किया गया।

फारबिसगंज में आखिरी ठिकाना—और पुलिस की सटीक कार्रवाई

आख़िरकार, लड़की को फारबिसगंज के रेड लाइट एरिया—रामपुर उत्तर पंचायत, वार्ड संख्या तीन—में छिपाया गया। जैसे ही यह जानकारी अररिया के एसपी अंजनी कुमार को मिली, उन्होंने फौरन फारबिसगंज थानाध्यक्ष राघवेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में एक विशेष छापेमारी दल गठित किया।

इस दल में महिला पुलिस अधिकारी कुमारी बबीता, आदित्य किरण, राजनंदिनी सिन्हा, प्रीति कुमारी और अन्य सशस्त्र बलों के जवान शामिल थे। रविवार शाम इस टीम ने सफल छापेमारी करते हुए लड़की को वहां से बरामद कर लिया।

मेडिकल जांच और कोर्ट में बयान

पुलिस ने लड़की को बरामद करने के तुरंत बाद उसका मेडिकल परीक्षण करवाया और कोर्ट में बयान दर्ज कराया गया। इससे मामला कानूनी रूप से मजबूत हुआ और मानव तस्करी के इस जघन्य अपराध में संलिप्त लोगों पर शिकंजा कसना शुरू हुआ।

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