Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारत के सेमीकंडक्टर बनाने के महत्वाकांक्षी मिशन की तुलना महात्मा गांधी के प्रसिद्ध 'चरखा आंदोलन' से की है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह चरखे ने भारत को आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया था, उसी तरह आज के युग में सेमीकंडक्टर देश को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा.
इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में बोलते हुए सिंधिया ने कहा, "आजादी की लड़ाई में चरखे ने जो क्रांति की थी, वही क्रांति 'अमृत काल' में भारत के विकास के लिए सेमीकंडक्टर करेगा." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कदम भारत को सिर्फ टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने वाले देश से टेक्नोलॉजी बनाने वाले देश में बदल देगा.
क्यों है यह तुलना इतनी खास: महात्मा गांधी ने चरखे को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आर्थिक आत्मनिर्भरता और 'स्वदेशी' का प्रतीक बनाया था. इसका मकसद विदेशी कपड़ों पर निर्भरता खत्म करना था. ठीक इसी तरह, आज के समय में हम फोन, लैपटॉप, कार और हर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के लिए विदेशी सेमीकंडक्टर चिप पर निर्भर हैं.
सिंधिया के मुताबिक, भारत में सेमीकंडक्टर का निर्माण इसी निर्भरता को खत्म करने की एक नई 'स्वदेशी' लड़ाई है. यह सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का एक बहुत ही अहम हिस्सा है. इसका लक्ष्य सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करना नहीं, बल्कि भारत को सेमीकंडक्टर डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग का एक ग्लोबल हब बनाना है.
यह बयान साफ करता है कि सरकार सेमीकंडक्टर को सिर्फ एक तकनीकी प्रोडक्ट के तौर पर नहीं, बल्कि देश के स्वाभिमान और तकनीकी स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देख रही है.
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