Up Kiran, Digital Desk: गाजा में लगातार बढ़ते हिंसा और इजरायली हमलों के बीच पाकिस्तान अब अपनी सेना भेजने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान की सरकार ने पहले ही गाजा में मानवीय मदद भेजी थी, लेकिन अब पाकिस्तानी सेना गाजा में एक स्थिरता लाने के लिए कदम उठाने को तैयार है।
अभी इस पर चर्चा चल रही है, लेकिन यह साफ है कि पाकिस्तान की सेना गाजा में एक अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता बल (Stabilization Force) का हिस्सा बनने की योजना बना रही है। इसमें मुख्यत: मुस्लिम देशों के सैनिकों को शामिल किया जाएगा।
क्यों भेजेगा पाकिस्तान अपनी सेना?
गाजा में स्थिरता लाने के लिए पाकिस्तान अपनी भूमिका निभाने का इरादा रखता है। इसका उद्देश्य गाजा के आंतरिक सुरक्षा माहौल को सुधारना और हमास के निरस्त्रीकरण की दिशा में कदम उठाना है। इसके साथ ही पाकिस्तान की सेना गाजा की सीमाओं की सुरक्षा करेगी और मानवीय सहायता पहुंचाने का काम भी करेगी।
इतना ही नहीं, गाजा की बर्बाद हो चुकी इमारतों को फिर से बनाने का कार्य भी इस फोर्स की जिम्मेदारी में होगा। पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा कदम हो सकता है, जो उसे इस्लामिक दुनिया में एक मजबूत और निर्णायक देश के तौर पर स्थापित कर सकता है।
इजरायल का विरोध: क्या होगा इसका असर?
इस बीच, इजरायल ने तुर्की के सुरक्षा बलों को गाजा में शामिल होने से मना किया है। इजरायल का कहना है कि तुर्की का सेना भेजने का निर्णय उनके खिलाफ एक प्रत्यक्ष चुनौती है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी गाजा में किसी भी सेना के जाने पर अपनी सहमति नहीं दी। उनका कहना है कि इजरायल यह तय करेगा कि किसे गाजा में जाने की अनुमति दी जाए।
इस फैसले के बाद यह देखना होगा कि पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों के गाजा में सैनिक भेजने से इजरायल की प्रतिक्रिया क्या होती है। क्या यह एक नई वैश्विक राजनीतिक स्थिति को जन्म दे सकता है?
पाकिस्तान और इस्लामिक मुद्दे: पाकिस्तान का मकसद
पाकिस्तान की सेना और सरकार के बीच गाजा में अपनी भूमिका को लेकर विचार चल रहा है। एक संभावना यह भी है कि पाकिस्तान गाजा और कश्मीर जैसे इस्लामिक मुद्दों पर अपनी भूमिका को और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान वर्षों से इन मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाता रहा है और गाजा में सेना भेजने से वह अपनी छवि को और सशक्त बना सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय बल का निर्माण: तुर्की, कतर, मिस्र और अन्य देश
हालांकि अमेरिकी प्रशासन ने गाजा में अपने सैनिकों को भेजने से इनकार कर दिया है, लेकिन पाकिस्तान के साथ-साथ अन्य मुस्लिम देशों ने भी इस मिशन का हिस्सा बनने का संकेत दिया है। इंडोनेशिया, कतर, मिस्र, तुर्की और अजरबैजान इस मिशन में अपनी सेना भेज रहे हैं। पाकिस्तान का इस मिशन में शामिल होने का फैसला इसे एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के तौर पर उभार सकता है।
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