कांग्रेस विधायकों के उठापटक के चलते राजस्थान विधानसभा इलेक्शन सीएम गहलोत के लिए करो या मरो की लड़ाई बन चुका है। इस चुनावी राज्य में हर 5 बरस साल में सरकार बदलने का भी रिवाज रहा है। ये हालात गहलोत के लिए मुश्किलें और बढाने वाले है।
प्रदेश में 2018 के चुनाव में एक नारा खूब लोकप्रिय हुआ था मोदी तुमसे बैर नहीं, वसुंधरा तुम्हारी खैर नहीं। अबकी बार इस नारे में कुछ बदलाव हुआ है। गहलोत तुमसे बैर नहीं। विधायक तुम्हारी खैर नहीं। सरल शब्दों में कहें तो यह नारा कांग्रेस आला कमान को स्पष्ट संदेश है। जनता के बीच मुख्यमंत्री की तुलना में मौजूदा मंत्रियों और विधायकों को लेकर ज्यादा गुस्सा नजर आता है। प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में एंटी इनकंबेंसी बताई जा रही है।
ऐसे में सीएम गहलोत चाहते तो कुछ बड़े बदलाव कर सकते थे। मगर उनके ज्यादातर वर्तमान एमएलए व मंत्रियों को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया है। इसके पीछे गहलोत की मजबूरी बताई जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के भीतर विद्रोह होने पर सीनियर कांग्रेस लीडर ने नेताओं से वादा किया था।
उन्होंने विधायकों से कहा था कि यदि वे उनका सपोर्ट व सचिन पायलट का विरोध करेंगे तो ये सुनिश्चित होगा कि उनके टिकट न काटें। बताया जा रहा है कि उस वादे को पूरा करने का वक्त है। यही कारण है कि सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे कई विधायकों को भी दोबारा टिकट मिला है। टिकट वितरण में साफ पता चलता है कि अशोक ने अपना काम बना लिया है और वे अपने वादे को पूरा करने में जुटे हैं। हालांकि टिकट बंटवारे में मुख्यमंत्री का ही पूरा काबू नहीं रहा है।
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