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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा जहां एक ओर विकास परियोजनाओं के लोकार्पण के लिए चर्चा में रही, वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस दौरे को लेकर तीखे सवाल खड़े किए हैं। गहलोत ने कहा कि जिस मुद्दे ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया, उस पर प्रधानमंत्री की चुप्पी जनता को अखर रही है।

कन्हैयालाल हत्याकांड पर चुप्पी से जनता में नाराजगी: गहलोत

गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बांसवाड़ा दौरे में कन्हैयालाल साहू हत्याकांड का ज़िक्र तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि पहले केंद्रीय गृह मंत्री और अब प्रधानमंत्री की इस संवेदनशील मामले में चुप्पी से राजस्थान की जनता खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है।

उनके अनुसार, यह मामला केवल चुनावों में इस्तेमाल होने वाला एक मुद्दा बनकर रह गया है। गहलोत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस केस में संवेदनशीलता नहीं दिखा रही है, और NIA जैसी एजेंसी अब तक दोषियों को सज़ा दिलाने में विफल रही है।

“मोदी की गारंटी सिर्फ भाषणों तक”: गहलोत का तंज

गहलोत ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावों से पहले जो वादे किए थे, उनका अब तक कोई ठोस हिसाब नहीं दिया गया है। उनका दावा है कि ‘मोदी की गारंटी’ का जो शोर पहले था, वह अब जनता की नजर में असरहीन हो चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव पूर्व किए गए वादों की पूर्ति पर चर्चा क्यों नहीं हो रही।

राजनीतिक आरोपों में घिरा सरकारी कार्यक्रम

प्रधानमंत्री की बांसवाड़ा यात्रा के दौरान 1.22 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विकास योजनाओं का उद्घाटन किया गया। हालांकि गहलोत ने इस मौके पर दिए गए भाषण की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकारी मंच पर राजनीतिक बातें करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह पहले की परंपरा से भी विपरीत है, जहां सरकार की योजनाएं और भविष्य की रूपरेखा साझा की जाती थी।

कांग्रेस की योजनाओं को किया जा रहा नजरअंदाज: गहलोत

गहलोत ने प्रधानमंत्री से यह सवाल भी किया कि चुनाव से पहले वादा किया गया था कि पिछली सरकार की योजनाओं को बंद नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आने के बाद कांग्रेस शासन में शुरू की गई कई कल्याणकारी योजनाओं को या तो बंद कर दिया गया है या फिर उनका असर कम कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि योजनाओं का नाम बदलना कोई मुद्दा नहीं, लेकिन योजनाओं को निष्क्रिय करना दुर्भाग्यपूर्ण है।