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Up Kiran, Digital Desk: हर भारतीय छात्र का सपना होता है कि वह दुनिया के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करे, खासकर जर्मनी जैसे देश में जहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान के बेहतरीन अवसर मौजूद हैं। लेकिन अक्सर वित्तीय बाधाएँ इस सपने के आड़े आ जाती हैं, खासकर जब बात बिना संपार्श्विक (collateral) के शिक्षा ऋण की हो। ऐसी ही कहानी है प्रमेन्द्र कुशवाहा की, जिनके जर्मनी में पढ़ाई के सपने को प्रॉडिजी फाइनेंस ने हकीकत में बदला।

प्रमेन्द्र कुशवाहा ने जर्मनी में अपनी मास्टर डिग्री पूरी करने का सपना देखा था। उन्हें पता था कि एक अंतरराष्ट्रीय डिग्री उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। लेकिन इस सपने को पूरा करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी शिक्षा के लिए धन जुटाना।

 पारंपरिक शिक्षा ऋणों में अक्सर संपार्श्विक या गारंटर की आवश्यकता होती है, जो कई छात्रों के पास नहीं होता। प्रमेन्द्र के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि उनके पास पर्याप्त संपत्ति नहीं थी जिसे गिरवी रखकर वे ऋण ले सकें।

तभी उनकी मुलाकात प्रॉडिजी फाइनेंस से हुई। यह एक ऐसी कंपनी है जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को बिना किसी संपार्श्विक या गारंटर के शिक्षा ऋण प्रदान करती है। वे छात्र की भविष्य की कमाई की क्षमता, उसके अकादमिक रिकॉर्ड और उसकी विश्वविद्यालय की साख को देखकर ऋण देती है। यह प्रमेन्द्र जैसे छात्रों के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ, क्योंकि इसने उन्हें वित्तीय बाधाओं के बिना अपने सपनों का पीछा करने का अवसर दिया।

प्रमेन्द्र ने बताया कि प्रॉडिजी फाइनेंस के साथ उनकी यात्रा बेहद आसान और परेशानी-मुक्त रही। पूरी आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन थी और उन्हें हर कदम पर मार्गदर्शन मिला। उन्हें अपनी योग्यता और भविष्य की संभावनाओं पर विश्वास था, और प्रॉडिजी फाइनेंस ने इस विश्वास को एक अवसर में बदल दिया। उन्हें लगा कि यह उनके लिए ही बना एक प्लेटफॉर्म है जो उनकी प्रतिभा को पहचानता है।

आज प्रमेन्द्र कुशवाहा गर्व से जर्मनी में अपनी मास्टर डिग्री हासिल कर रहे हैं। उन्होंने प्रॉडिजी फाइनेंस को धन्यवाद दिया, जिसने उनके सपने को हकीकत में बदलने में मदद की। यह कहानी सिर्फ प्रमेन्द्र की नहीं, बल्कि उन हजारों छात्रों की है जो बेहतरीन शिक्षा हासिल करना चाहते हैं लेकिन वित्तीय सहायता की कमी के कारण पीछे हट जाते हैं।

प्रॉडिजी फाइनेंस जैसे संस्थान यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए वित्तीय बाधाएं किसी के सपने को रोक न सकें। यह सचमुच एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो प्रतिभा को पहचानता है और उसे सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है। प्रमेन्द्र कुशवाहा की सफलता की कहानी इसका एक जीता-जागता उदाहरण है।

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