
Up Kiran, Digital Desk: ज्योतिष शास्त्र में राहु को एक पापी और मायावी ग्रह माना जाता है। यदि कुंडली में राहु की स्थिति अनुकूल न हो, तो यह जीवन में भारी उथल-पुथल मचा सकता है। राहु का अशुभ प्रभाव व्यक्ति को भ्रम, चिंता, आर्थिक हानि, नशे की लत, धोखा, मानसिक अशांति, कानूनी समस्याएं और करियर में अचानक पतन जैसी कई कष्टप्रद स्थितियों में डाल सकता है। हालाँकि, ज्योतिष में ऐसे कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं जिनसे राहु दोष को शांत किया जा सकता है और इसके नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है। यदि आप भी राहु के बुरे प्रभाव से परेशान हैं, तो इन सरल उपायों को अपनाकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
राहु के अशुभ प्रभाव के लक्षण:
राहु के कमजोर या अशुभ होने पर व्यक्ति के व्यवहार और जीवन में कुछ विशिष्ट बदलाव देखे जाते हैं:
वाणी में कठोरता और झूठ बोलना: व्यक्ति की वाणी अक्सर कठोर हो जाती है और वह सच को छिपाने या तोड़-मरोड़ कर पेश करने लगता है।
नशे और जुए की ओर झुकाव: राहु व्यक्ति को जुआ, सट्टेबाजी और नशे जैसी बुरी आदतों की ओर आकर्षित कर सकता है।
मानसिक अशांति और भ्रम: मन में लगातार भ्रम, डर और अकारण चिंता बनी रहती है। व्यक्ति को सही-गलत का निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
आर्थिक अस्थिरता: अचानक आर्थिक नुकसान, धन का व्यर्थ व्यय और पैसों की तंगी बनी रह सकती है।
अनैतिक संबंध और धोखा: व्यक्ति अक्सर अनैतिक संबंधों में फंस सकता है या उसे दूसरों से धोखा मिल सकता है।
स्वास्थ्य समस्याएं: त्वचा रोग, सिरदर्द, मानसिक रोग और नींद में डरावने सपने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अचानक पतन: करियर या सामाजिक जीवन में अचानक और अप्रत्याशित पतन का सामना करना पड़ सकता है।
राहु दोष को दूर करने के अचूक उपाय:
राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सुख-समृद्धि पाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
मंत्र जाप:
राहु बीज मंत्र: "ॐ रां राहवे नमः" (Om Ram Rahave Namaha) का 108 बार प्रतिदिन जप करने से मानसिक स्थिरता आती है और भय, चिंता दूर होती है। शाम को सूर्यास्त के बाद इसका जप करना विशेष फलदायी होता है।
महामृत्युंजय मंत्र: भगवान शिव को राहु का नियंत्रक माना जाता है, इसलिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी राहु दोष कम करने में सहायक है।
हनुमान चालीसा और दुर्गा चालीसा: हनुमान चालीसा का पाठ राहु, शनि और केतु जैसे ग्रहों के दोषों को दूर करने में अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इसी प्रकार, दुर्गा चालीसा का पाठ भी राहु के अशुभ प्रभाव को कम करता है।
पूजा और व्रत:
राहु शांति पूजा: ज्योतिष की सलाह से राहु शांति पूजा या राहु ग्रह दोष निवारण पूजा करवाना अत्यंत लाभकारी होता है।
शिव की आराधना: शनिवार और सोमवार को शिवलिंग पर जल और काले तिल अर्पित करने से राहु की शांति होती है। भगवान शिव की नियमित पूजा करें।
मां दुर्गा की उपासना: मां दुर्गा को राहु का नियंत्रक माना जाता है, इसलिए नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा या दुर्गा सप्तशती का पाठ राहु के दोषों को दूर करने का अचूक उपाय है। मां सरस्वती को भी राहु का इष्ट देवी माना जाता है।
राहु व्रत: शनिवार का व्रत रखना और दिन भर फलाहार करना तथा शाम को राहु मंत्र का जाप करना भी राहु को शांत करने का एक तरीका है।
दान (Charity):
काला कुत्ता: काले कुत्ते को रोटी खिलाना राहु को शांत करने का एक बहुत ही सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है, विशेषकर शनिवार के दिन।
वस्तु दान: शनिवार को काला कपड़ा, कंबल, तिल (विशेषकर काले तिल), सरसों का तेल, जौ, सीसा, स्टील के बर्तन, नारियल और उड़द का दान करना राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है।
जरूरतमंदों की सेवा: सफाई कर्मचारी या जरूरतमंदों को खाना खिलाना और तम्बाकू का दान करना भी राहु को प्रसन्न कर सकता है।
जीवनशैली में बदलाव:
नशा मुक्ति: मांस, मदिरा और नशे की वस्तुओं से परहेज करना बहुत आवश्यक है, क्योंकि ये राहु के अशुभ प्रभाव को बढ़ाते हैं।
स्वच्छता और अनुशासन: अपनी जीवनचर्या को पवित्र और अनुशासित रखें।
सकारात्मकता: पूजा-पाठ करके और सकारात्मक रहने का प्रयास करें।
सच्चाई और ईमानदारी: झूठ बोलने, धोखा देने से बचें।
अन्य उपाय:
गोमेद रत्न: किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेकर गोमेद (Hessonite Garnet) रत्न धारण करना राहु के प्रभाव को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
पीपल की पूजा: शनिवार को पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं और शाम को घी का दीपक जलाएं।
राहु यंत्र: राहु यंत्र की स्थापना और पूजा भी राहु दोष निवारण में सहायक होती है।
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