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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान में करीब 23 साल बाद एक बार फिर से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम (SIR) शुरू होने जा रहा है। यह न सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, बल्कि लाखों लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। लंबे समय से मतदाता सूची में गड़बड़ी, दोहराव और नाम छूटने की शिकायतें आती रही हैं, ऐसे में यह पुनरीक्षण अभियान जनता के लिए एक जरूरी मौका बनकर सामने आया है।
पंचायत से लेकर ज़िले तक खुलेंगे हेल्प डेस्क
राज्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने बीकानेर और अजमेर संभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि हर ग्राम पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर हेल्प डेस्क स्थापित किए जाएं ताकि मतदाताओं को अपने दस्तावेजों के साथ नाम दर्ज कराने में कोई परेशानी न हो। इन डेस्क पर नियुक्त कर्मचारियों को SIR के दिशा-निर्देशों की पूरी जानकारी दी जाएगी।
बीएलओ और स्वयंसेवक होंगे पूरी तरह तैयार
मतदाता सूची के इस व्यापक अभियान में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ), सूचना सहायक और पर्यवेक्षकों की अहम भूमिका होगी। महाजन ने स्पष्ट किया कि इन सभी की समय पर नियुक्ति और प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए। साथ ही स्वयंसेवकों की टीम भी बनाई जाएगी जो घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करेगी और दस्तावेजों की जांच करेगी। किसी योग्य नागरिक का नाम सूची से वंचित न रह जाए, इसके लिए रैंडम चेकिंग की भी योजना बनाई गई है।
राजनीतिक दलों से सहयोग और बूथ एजेंट्स की नियुक्ति
राज्य निर्वाचन अधिकारी ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यापक बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की है। बूथ लेवल एजेंट्स की तैनाती भी जल्द से जल्द करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि हर पक्ष को उचित प्रतिनिधित्व मिले और मतदाता सूची का निर्माण संतुलित और निष्पक्ष हो सके।
मतदाताओं तक पहुंचाएगी जानकारी – व्यापक IEC अभियान
एसआईआर के बारे में आम जनता को पूरी जानकारी देने के लिए राज्य भर में IEC (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों का आयोजन होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता जान सकें कि उन्हें क्या करना है, कौन-से दस्तावेज देने हैं और कब व कहां जाकर प्रक्रिया पूरी करनी है।
क्यों है SIR इतना महत्वपूर्ण?
राजस्थान में आखिरी बार विशेष गहन पुनरीक्षण 2002 में हुआ था। इस बार भी उसी आधार को सामने रखते हुए नए मतदाता सूची तैयार की जाएगी। इसका मतलब यह है कि 2002 के बाद बने सभी नए मतदाता अब अपने दस्तावेजों के साथ फिर से सूची में नाम दर्ज करवाएंगे। बीएलओ घर-घर जाकर एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित करेंगे और उनके साथ जरूरी दस्तावेज एकत्रित करेंगे।
बिहार बना उदाहरण, राजस्थान की बारी
बिहार में यह अभियान पहले से ही चल रहा है और वहां अब तक 86.32% फॉर्म एकत्रित किए जा चुके हैं। राज्य में तीसरे दौर की घर-घर जांच की तैयारी भी तेज़ हो चुकी है, जिसमें लगभग एक लाख बीएलओ मैदान में हैं। अब राजस्थान के लिए भी यही मौका है कि वह इस अभियान को सफल बनाकर मतदाताओं को मजबूत और पारदर्शी लोकतांत्रिक मंच दे।
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