
टेक वर्ल्ड से एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक Google ने माना है कि उसने Samsung Galaxy स्मार्टफोन्स में अपनी Gemini AI को पहले से इंस्टॉल कराने के लिए सैमसंग को हर महीने मोटी रकम दी है। यह बड़ा कबूलनामा खुद गूगल के वाइस प्रेसिडेंट पीटर फिजगैराल्ड ने किया है। इस खुलासे ने गूगल के खिलाफ पहले से चल रहे एंटी-ट्रस्ट ट्रायल में नई बहस को जन्म दे दिया है।
गूगल का कबूलनामा: कोर्ट में खुली पोल
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, पीटर फिजगैराल्ड ने अमेरिकी कोर्ट में यह स्वीकार किया कि गूगल ने जनवरी 2025 से सैमसंग को भुगतान करना शुरू कर दिया था।
यह डील दो साल के लिए तय हुई है।
गूगल न सिर्फ फिक्स्ड मंथली पेमेंट कर रहा है बल्कि जेमिनी ऐप से होने वाले सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू का भी एक हिस्सा सैमसंग को दे रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के वकील डेविड डैहलक्विस्ट ने इस भुगतान को "मोटी रकम" करार दिया।
हालांकि, अभी तक न तो गूगल और न ही कोर्ट में मौजूद विभाग ने इस पेमेंट की सटीक राशि सार्वजनिक की है।
जस्टिस अमित मेहता का सख्त रुख
अमेरिकी कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान जस्टिस अमित मेहता ने गूगल को कठघरे में खड़ा करते हुए साफ कहा कि
कंपनियों को अपने ऐप्स डिफॉल्ट सेट कराने के लिए पैसे देना एंटी-ट्रस्ट कानूनों का सीधा उल्लंघन है।
गूगल का यह रवैया ऑनलाइन मार्केट में अपनी मोनोपोली बनाए रखने की साजिश जैसा है।
यह पहली बार नहीं है जब गूगल पर इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं।
सैमसंग के साथ डील में कितनी बड़ी रकम दी गई?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल ने सैमसंग को 8 बिलियन डॉलर (करीब 6.8 लाख करोड़ रुपये) का भारी-भरकम भुगतान किया है। यह रकम गैलेक्सी स्मार्टफोन्स पर जेमिनी एआई को प्री-इंस्टॉल कराने के बदले में दी गई है।
इसके पहले, 2022 में भी गूगल पर एप्पल को सफारी ब्राउजर में डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाए रखने के लिए 20 बिलियन डॉलर (करीब 17 लाख करोड़ रुपये) का भुगतान करने का आरोप लग चुका है।
गूगल पर लगातार मोनोपोली के आरोप
गूगल पर पहले भी कई बार ऑनलाइन ऐड मार्केट और सर्च इंजन मार्केट में अपने दबदबे को बनाए रखने के लिए अनुचित तरीके अपनाने के आरोप लगे हैं।
अपने ऐप्स को डिफॉल्ट बनाने के लिए कंपनियों को मोटी रकम देना।
छोटे प्रतियोगियों के लिए बाजार में जगह बनाना मुश्किल कर देना।
यूजर्स की पसंद को सीमित करना और विकल्पों को छुपाना।
ये सारी रणनीतियाँ गूगल की मोनोपोली को मजबूत करती रही हैं, लेकिन अब इस तरह के खुलासों से कंपनी के ऊपर भारी जुर्माने और कड़े प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है।
आगे क्या हो सकता है?
अगर कोर्ट में गूगल दोषी पाया जाता है, तो:
कंपनी पर भारी आर्थिक दंड लगाया जा सकता है।
भविष्य में गूगल को इस तरह की डील्स करने से रोका जा सकता है।
सर्च, ऐप्स और ऐड मार्केट में नई प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए नए कानून बन सकते हैं।
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