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Up Kiran, Digital Desk: भारत सरकार ने पॉलीथीन (PE) के बढ़ते आयात पर अपनी पैनी नज़र रखी है। यह चिंता का विषय है क्योंकि वैश्विक स्तर पर इसकी कीमतें काफी कम हैं, जिससे घरेलू निर्माताओं को नुकसान हो रहा है। सरकार अब इस स्थिति से निपटने और भारतीय उद्योगों को बचाने के उपायों पर विचार कर रही है।

रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग (DoCPC) पॉलीथीन के वैश्विक व्यापारिक रुझानों की समीक्षा कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पॉलीथीन की कीमतें काफी कम होने के कारण भारतीय उत्पादकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है।

खासकर रूस, कोरिया, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों से पॉलीथीन के आयात में भारी उछाल आया है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियों का बाजार हिस्सा घट गया है और उन्हें काफी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस स्थिति से निपटने और घरेलू उद्योग को बचाने के लिए सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है, जिसमें आयात शुल्क बढ़ाना या एंटी-डंपिंग ड्यूटी (ADD) लगाना शामिल है।

रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग के सचिव, सुशांत कुमार पुरोहित ने घरेलू उत्पादकों के लिए समान अवसर (लेवल प्लेइंग फील्ड) बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "विभाग इस मामले की बारीकी से जांच कर रहा है, और हमारे उद्योगों के लिए एक निष्पक्ष प्रतिस्पर्धी माहौल प्रदान करने के विकल्पों पर चर्चा चल रही है।"

यह भी उल्लेखनीय है कि पहले भी, व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) ने कई देशों से हाई-डेंसिटी पॉलीथीन (HDPE) के आयात के खिलाफ एंटी-डंपिंग जांच शुरू की थी। पैकेजिंग, निर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में पॉलीथीन सहित प्लास्टिक उत्पादों की घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है।

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