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Up Kiran, Digital Desk: हिमाचल प्रदेश की सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के विकास पर खास ध्यान दिया है, जिसका सीधा फायदा वहां रहने वाले 35,000 से ज्यादा परिवारों को मिल रहा है. सरकार का लक्ष्य इन दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को बेहतर सुविधाएं देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना है.

इस साल, जनजातीय विकास के लिए 856 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जिसमें से 335 करोड़ रुपये विशेष रूप से जनजातीय उप-योजना के लिए हैं. इस पैसे से वहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और सिंचाई जैसी जरूरी सुविधाओं को बेहतर बनाया जा रहा है, ताकि लोगों का जीवन स्तर सुधर सके.

सरकार की एक खास पहल "एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय" है, जो इन क्षेत्रों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का काम कर रही है. साथ ही, "जनजातीय क्षेत्रों में एकीकृत विकास परियोजना (आईटीडीपी)" के जरिए वहां के सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी जोर दिया जा रहा है.

इन योजनाओं के तहत, जनजातीय परिवारों को घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है. अब तक, 26,000 से ज्यादा परिवारों को घर बनाने के लिए 1.50 लाख रुपये प्रति परिवार की मदद मिल चुकी है. इसके अलावा, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों को उनकी बेटियों की शादी के लिए 51,000 रुपये की सहायता दी जा रही है.

यही नहीं, 60 साल से ज्यादा उम्र के 12,000 से अधिक बुजुर्गों को बिना किसी आय सीमा के सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी मिल रही है. सरकार का यह कदम दिखाता है कि वह जनजातीय समुदायों के विकास और उनके जीवन को आसान बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. इन कोशिशों का असर भी दिख रहा है और धीरे-धीरे इन इलाकों की तस्वीर बदल रही है.