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Up Kiran, Digital Desk: विशाखापत्तनम में एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल ने धार्मिक अनुष्ठानों से निकलने वाले कचरे को पर्यावरण के लिए एक वरदान में बदल दिया है। 'स्वच्छ देवालयम' नाम की यह अभिनव परियोजना, ग्रेटर विशाखापत्तनम नगर निगम (GVMC) और अक्षय कल्प नामक संस्था के बीच एक सफल साझेदारी का परिणाम है, जो अब मंदिरों से निकलने वाले जैविक कचरे को उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद में बदल रही है।

पहले, शहर भर के मंदिरों से हर दिन बड़ी मात्रा में निकलने वाले फूल, नारियल के छिलके और अन्य जैविक पदार्थ अक्सर नदियों में या खाली भूखंडों पर फेंक दिए जाते थे, जिससे गंभीर जल और भूमि प्रदूषण होता था। यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक था, बल्कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता पर भी सवाल उठाता था।

इस गंभीर चुनौती का समाधान करने के लिए, GVMC ने अक्षय कल्प के साथ मिलकर एक दूरदर्शी कार्यक्रम शुरू किया। 'स्वच्छ देवालयम' के तहत, शहर के 11 प्रमुख मंदिरों को लक्षित किया गया है जहाँ से प्रतिदिन लगभग 1,200 किलोग्राम जैविक कचरा एकत्र किया जाता है। अक्षय कल्प के संस्थापक सी.वी.एस. सुकुमार बताते हैं कि उनकी समर्पित टीम इस कचरे को नियमित रूप से इकट्ठा करती है और इसे गांधीग्राम स्थित कंपोस्टिंग यूनिट तक पहुंचाती है।

इस विशेष यूनिट में, वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके इन जैविक पदार्थों को खाद में परिवर्तित किया जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें लगभग 45 दिन लगते हैं। परिणाम एक समृद्ध, पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद है जो न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है बल्कि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को भी कम करती है।

इस परियोजना की एक और उल्लेखनीय विशेषता इसकी आत्मनिर्भरता है। उत्पादित जैविक खाद को 10 रुपये प्रति किलोग्राम की मामूली दर पर बेचा जाता है। इससे मिलने वाला राजस्व परियोजना के संचालन और स्थिरता में योगदान देता है, जिससे यह एक टिकाऊ और आर्थिक रूप से व्यवहार्य मॉडल बन जाता है।

'स्वच्छ देवालयम' केवल अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम नहीं है; यह एक व्यापक पर्यावरणीय आंदोलन का प्रतीक है जो धार्मिक प्रथाओं को पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ता है। यह पहल देश भर के अन्य शहरों के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे स्थानीय नवाचार और सार्वजनिक-निजी भागीदारी अपशिष्ट को संसाधन में बदलकर एक स्वच्छ और हरित भविष्य का निर्माण कर सकती है।

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