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Up Kiran, Digital Desk: समुद्र की सतह पर उठती लहरें अक्सर आंखों को दिखाई देती हैं, लेकिन असली खतरे पानी के नीचे छिपे होते हैं। इन्हीं खतरों को पहचानने और सुरक्षित रास्ता तय करने के लिए हाइड्रोग्राफिक चार्ट तैयार किए जाते हैं। भारतीय नौसेना के पास पहले से ही दो आधुनिक सर्वे वेसल हैं – INS संध्याक, जिसे 3 फरवरी 2024 को शामिल किया गया था, और INS निर्देशक, जो 18 दिसंबर 2024 को नौसेना का हिस्सा बना। अब इसी श्रेणी का तीसरा जहाज INS इक्षक भी तैयार होकर नौसेना को सौंप दिया गया है।
क्यों है खास INS इक्षक?
इस जहाज का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) कोलकाता में किया गया है। खास बात यह है कि इसे महिला नौसेना अधिकारियों और नाविकों के लिए अलग से डिज़ाइन किया गया पहला सर्वे वेसल माना जा रहा है। यह कदम भारतीय नौसेना में लैंगिक समानता की दिशा में अहम साबित होगा।
इक्षक 110 मीटर लंबा और करीब 3800 टन वजनी है। इसमें दो डीजल इंजन लगे हैं और यह जहाज लगातार 25 दिन तक समुद्र में रह सकता है। अधिकतम 18 नॉटिकल मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाला यह वेसल न सिर्फ समुद्र की तलहटी की सटीक मैपिंग करेगा बल्कि भारत की सामरिक मौजूदगी को भी और मजबूत बनाएगा।
क्या काम करेगा इक्षक?
समुद्र की गहराइयों में लगातार बदलाव आते रहते हैं। कभी सुनामी की वजह से तलहटी बदल जाती है तो कभी बंदरगाहों के पास गहराई कम हो जाती है। ऐसे में अगर अपडेटेड हाइड्रोग्राफिक मैप न हों तो दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
INS इक्षक अत्याधुनिक सेंसर और सैटेलाइट आधारित नेविगेशन तकनीक से समुद्र की गहराई और सतह का सटीक चार्ट तैयार करेगा। इससे सुरक्षित नेविगेशन रूट तय होंगे। इसके अलावा भारत मित्र देशों की भी मदद कर सकेगा। अगर कोई देश अपने एक्सक्लूसिव इकॉनमिक ज़ोन (EEZ) का सर्वे करवाना चाहे तो INS इक्षक इसमें अहम भूमिका निभाएगा।
आत्मनिर्भर भारत की झलक
इक्षक भारतीय नौसेना का 102वां ऐसा जहाज है, जिसे पूरी तरह नेवल डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है। इसमें इस्तेमाल हुआ 80 प्रतिशत से ज्यादा सामान स्वदेशी है। यह न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है बल्कि आने वाले समय में देश को विदेशी तकनीक पर निर्भरता से भी मुक्ति दिलाएगा।
हिंद महासागर में भारत की बढ़ती रणनीतिक ताकत
भारत का कई देशों, जैसे श्रीलंका, के साथ हाइड्रोग्राफी सर्वे का करार है। भारत द्वारा बनाए गए चार्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध हो जाते हैं, जिन्हें कोई भी खरीद सकता है। यही वजह है कि चीन भी इन चार्ट्स का इस्तेमाल कर श्रीलंका समेत कई बंदरगाहों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराता रहा है। ऐसे में INS इक्षक का कमीशन होना भारत की समुद्री सुरक्षा और कूटनीतिक ताकत दोनों के लिहाज से बड़ा कदम माना जा रहा है।
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