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Up Kiran, Digital Desk: रामायण के हृदय, पवनपुत्र हनुमान जी की लीलाएं जितनी अद्भुत हैं, उतनी ही प्रेरणादायक भी। सुंदरकांड, जो हनुमान जी की लंका यात्रा और सीता जी की खोज का विस्तृत वर्णन करता है, उन अनमोल क्षणों से भरा है जो हमें जीवन की हर बाधा को पार करने का सामर्थ्य देते हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण है जब हनुमान जी अशोक वाटिका में माता सीता से मिलते हैं और उनसे अपने कार्य की सिद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। यह दिव्य संवाद हमें सिखाता है कि कैसे अटूट विश्वास, भक्ति और सही मार्गदर्शन से किसी भी असंभव कार्य को संभव बनाया जा सकता है।

वो अलौकिक क्षण: जब हनुमान ने माँगा आशीर्वाद

जब पवनपुत्र हनुमान जी अशोक वाटिका में माता सीता से मिले, तो उन्होंने अत्यंत विनम्रता और भक्ति भाव से अपना परिचय दिया और भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया। सीता जी, जो रावण द्वारा बंदी बनाई गई थीं, हनुमान जी को देखकर प्रसन्न हुईं, परंतु अपने पुत्र (राम) से बिछड़ने के दुख से व्याकुल भी थीं। इस मार्मिक मिलन में, हनुमान जी ने माता सीता से प्रभु के कार्य को पूर्ण करने की शक्ति और सफलता के लिए आशीर्वाद मांगा।

इस प्रसंग से जुड़ी एक प्रसिद्ध चौपाई (जो विभिन्न पाठों में थोड़ी भिन्न हो सकती है) इस प्रकार है:

"राम काजु सबु करिहहु तुम्ह, बल बुद्धि निधान।
आषिश देहुँ रघुनायकु-प्रिया, जाइ सो कीह कपि हनुमान॥"

सीता जी का मातृस्नेह और हनुमान जी की भक्ति:

यह चौपाई सीता जी के मातृस्नेह और हनुमान जी की अनन्य भक्ति का एक अद्भुत चित्रण है। सीता जी, अपने पुत्र समान हनुमान को देखकर स्नेह से अभिभूत हो जाती हैं। वे न केवल उनके शब्दों पर विश्वास करती हैं, बल्कि उन्हें बल, बुद्धि, यश और श्री राम की कृपा का आशीर्वाद भी प्रदान करती हैं, जैसे "होहु तात बल सील निधाना" (हे पुत्र, तुम बल और शील के भंडार बनो)। यह आशीर्वाद हनुमान जी के आत्मबल को और अधिक प्रज्वलित करता है, जिससे वे लंका दहन जैसे दुष्कर कार्य को भी सहजता से पूर्ण कर पाते हैं।

बल और बुद्धि का महत्व:

हनुमान जी को 'बल बुद्धि निधान' कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे शक्ति और ज्ञान दोनों के अक्षय स्रोत हैं। यह चौपाई हमें सिखाती है कि किसी भी महत्वपूर्ण या कठिन कार्य की सफलता के लिए केवल शारीरिक बल ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उसके साथ-साथ प्रखर बुद्धि, विवेक और सही मार्गदर्शन का होना भी परम आवश्यक है। सीता जी का आशीर्वाद हनुमान जी को यही दिव्य गुण प्रदान करता है, जिससे वे अपनी बुद्धि का प्रयोग करके न केवल लंका दहन करते हैं, बल्कि राक्षसों को भी अपनी शक्ति का अहसास कराते हैं।

हमारे जीवन के लिए प्रेरणा:

यह प्रसंग हमें सिखाता है कि जब हम किसी नेक या महत्वपूर्ण कार्य (राम काज) के लिए प्रयास करते हैं, तो हमें अपनी क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। साथ ही, हमें अपने बड़ों, जैसे माता-पिता, गुरुजन, या किसी भी पूजनीय व्यक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। यह आशीर्वाद हमारे मार्ग को सुगम बनाता है और हमें सफलता के करीब ले जाता है। हनुमान जी का यह प्रसंग हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करें, अपनी बुद्धि का सदुपयोग करें और भक्ति व विश्वास को अपना मार्गदर्शक बनाएं।

जीवन की बाधाओं को पार करने की शक्ति:

जब भी हम किसी बड़ी चुनौती का सामना करते हैं, तो इस चौपाई का स्मरण करना चाहिए। यह हमें याद दिलाती है कि जैसे सीता जी ने हनुमान जी को बल और बुद्धि का आशीर्वाद दिया, वैसे ही प्रभु की कृपा और अपने दृढ़ संकल्प से हमें भी अपने कार्यों को सिद्ध करने की शक्ति और विवेक प्राप्त हो सकता है। यह विश्वास हमें आगे बढ़ने और कभी भी हार न मानने की प्रेरणा देता है।

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