
Up Kiran, Digital Desk: टॉलीवुड (Tollywood) के दिग्गज अभिनेता मांचू विष्णु (Manchu Vishnu) ने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'किंगडम' (Kingdom) के समर्थन में एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पूरे सिनेमा जगत (Cinema Jagat) में हलचल मचा दी है। उनका यह संदेश न केवल फिल्म की टीम के लिए शुभकामनाओं से भरा है, बल्कि ऑनलाइन फिल्म समीक्षकों (Online Film Reviewers) के बढ़ते प्रभाव पर एक सीधा हमला भी है। विष्णु के इस 'विस्फोटक' बयान ने 'रिव्यूअर कल्चर' (Reviewer Culture) पर एक नई बहस छेड़ दी है, जिसमें कई फिल्म निर्माता और दर्शक उनके पक्ष में खड़े होते नजर आ रहे हैं।
'किंगडम' के लिए मांचू विष्णु की शुभकामनाएं: 'थिएटर जाओ, रिव्यू मत सुनो
मांचू विष्णु ने 31 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म 'किंगडम' के लिए अपनी शुभकामनाएं (Best Wishes) साझा की हैं। उन्होंने सोशल मीडिया (Social Media) पर एक भावुक संदेश (Emotional Message) पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने फिल्म की टीम, खासकर निर्देशक वाम्सी (Director Vamsi) और अभिनेता विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) और सत्य देव (Satya Dev) का समर्थन किया। फिल्म में विजय देवरकोंडा और सत्य देव की जुगलबंदी को लेकर पहले से ही काफी उम्मीदें थीं, और मांचू विष्णु का समर्थन निश्चित रूप से टीम के लिए मनोबल बढ़ाने वाला है।
अपने संदेश में, विष्णु ने फिल्म प्रेमियों (Movie Lovers) से एक सीधी और तीखी अपील की। उन्होंने कहा कि लोग ऑनलाइन समीक्षकों (Online Reviewers) की बातों पर ध्यान देने के बजाय सीधे सिनेमाघरों (Theatres) में जाकर फिल्म देखें। उनका मानना है कि इन तथाकथित समीक्षकों (So-called Reviewers) की राय पर लोगों को निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि वे अक्सर पक्षपातपूर्ण या सतही समीक्षाएं (Superficial Reviews) देते हैं जो फिल्म की वास्तविक योग्यता को प्रतिबिंबित नहीं करतीं। यह एक ऐसा आह्वान है जो फिल्म निर्माताओं और दर्शकों के बीच एक सीधा संबंध बनाने पर जोर देता है।
'रिव्यूअर कल्चर' पर मांचू विष्णु का 'हमला': 'सिनेमा को नुकसान पहुंचा रहा है!'
मांचू विष्णु ने अपने संदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें लगता है कि यह 'रिव्यूअर कल्चर' (Reviewer Culture) सिनेमा (Cinema) को नुकसान पहुंचा रहा है। यह एक गंभीर आरोप है, जो इस बात पर सवाल उठाता है कि क्या कुछ ऑनलाइन समीक्षाएं रचनात्मक आलोचना (Constructive Criticism) के बजाय व्यक्तिगत पूर्वाग्रह (Personal Bias) या निहित स्वार्थों (Vested Interests) से प्रभावित होती हैं। उनका यह बयान उन कई निर्माताओं और निर्देशकों की चिंता को दर्शाता है जो महसूस करते हैं कि उनकी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस (Box Office) पर सही मौका नहीं मिलता क्योंकि रिलीज से पहले ही कुछ नकारात्मक समीक्षाएं उनके लिए 'बाधा' बन जाती हैं।
विष्णु ने यह भी कहा कि वह जल्द ही इस 'रिव्यूअर कल्चर' के बारे में और अधिक विस्तार से बात करेंगे, जिसके बारे में उनका मानना है कि यह सिनेमा के भविष्य के लिए एक खतरा है। यह संकेत देता है कि वे इस मुद्दे पर एक व्यापक चर्चा या अभियान शुरू करने की योजना बना रहे हैं, जो फिल्म उद्योग में एक बड़ी बहस छेड़ सकता है।
'हर हर महादेव' से दिखाया 'गहरा' संकल्प!
अपने संदेश के अंत में, मांचू विष्णु ने सभी से अच्छी फिल्मों का समर्थन (Support Good Movies) करने की अपील की और अपनी गहरी भावनाओं (Strong Feelings) और दृढ़ संकल्प (Strong Resolve) को व्यक्त करने के लिए 'हर हर महादेव' (Har Har Mahadev) लिखा। यह वाक्यांश भारतीय संस्कृति में शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक है, जो विष्णु के इस बयान की गंभीरता को और बढ़ा देता है। 'हर हर महादेव' का उपयोग यह दर्शाता है कि यह मुद्दा उनके लिए कितना व्यक्तिगत और महत्वपूर्ण है, और वे इस लड़ाई को पूरी ताकत से लड़ना चाहते हैं।
फिल्म उद्योग और प्रशंसकों की प्रतिक्रिया: एक नई बहस की शुरुआत!
मांचू विष्णु के इस संदेश को लेकर अब फिल्म उद्योग (Film Industry) और प्रशंसकों (Fans) के बीच व्यापक चर्चा हो रही है। कुछ लोग उनके बयान का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं, उनका मानना है कि ऑनलाइन समीक्षाएं अक्सर फिल्म की मौलिकता (Originality) और कलात्मकता (Artistry) को नजरअंदाज करती हैं। वहीं, कुछ लोग यह भी तर्क दे सकते हैं कि समीक्षकों की अपनी भूमिका है और वे दर्शकों को फिल्म चुनने में मदद करते हैं।
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