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Up Kiran, Digital Desk: सनातन संस्कृति में हरतालिका तीज का पर्व विशेष आस्था और श्रद्धा से मनाया जाता है। यह दिन खासकर उन महिलाओं और कन्याओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जो शिव-पार्वती को आदर्श मानती हैं और उनके दिव्य मिलन की कथा से प्रेरणा लेती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखकर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि यह उपवास न केवल वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है, बल्कि विवाह में आ रही अड़चनों को भी दूर करता है।

क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी अटूट श्रद्धा और तप से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। हरतालिका तीज उसी श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं पार्वती की तरह समर्पण और प्रेम का व्रत लेकर शिव से अपने दांपत्य जीवन की सुख-शांति और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

हरतालिका तीज 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि की शुरुआत: 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे

तृतीया तिथि का समापन: 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे

व्रत की तिथि: 26 अगस्त 2025, मंगलवार

पूजा का उत्तम समय: प्रातः 5:56 बजे से लेकर 8:31 बजे तक

पूजन सामग्री की सूची

हरतालिका तीज की पूजा विशेष विधि से की जाती है, जिसमें कुछ पारंपरिक सामग्रियों का होना आवश्यक माना गया है। निम्नलिखित चीजें पूजा में शामिल की जानी चाहिए:

शुद्ध घी और दीपक

अगरबत्ती और धूप

शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र

कपूर, पान, बाती

साबुत नारियल, चंदन, सुपारी

प्रसाद हेतु केले

फूल और बेलपत्र

कलश, धतूरा, आम और केले के पत्ते

शमी के पत्ते, एक चौकी

सोलह श्रृंगार की सामग्री

व्रत से जुड़ी मान्यताएं और उपाय

1. आर्थिक परेशानी से मुक्ति:
यदि आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, तो इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद शिवलिंग पर आक के पांच फूल चढ़ाएं और पूरी श्रद्धा से शिव चालीसा का पाठ करें। मान्यता है कि इससे आर्थिक अड़चनें समाप्त होती हैं।

2. रुके हुए कार्यों में सफलता:
दूध, दही और शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इस सरल उपाय से अटके हुए कामों में गति आती है और शिवजी की कृपा प्राप्त होती है।

दान का महत्व

पूजा के उपरांत गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इससे ना केवल मानसिक संतोष मिलता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

हरतालिका तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, समर्पण और नारी शक्ति के जागरण का पर्व है। यह दिन हर महिला को मां पार्वती की तरह अपने जीवन में दृढ़ता, संयम और श्रद्धा लाने की प्रेरणा देता है। ऐसे पर्व न केवल हमारे आध्यात्मिक जीवन को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि सामाजिक जुड़ाव और पारिवारिक मूल्यों को भी गहराई देते हैं।

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