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Up Kiran Digital Desk: हरियाणा के यमुनानगर जिले में एक मुठभेड़ के दौरान कुख्यात अपराधी और नोनी राणा गैंग के सक्रिय सदस्य भीमा को पुलिस ने ढेर कर दिया। यह घटना एक ऐसे समय में हुई है जब राज्य में अपराधी गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवाजें और तेज हो गई हैं। भीमा पर कई गंभीर आरोप थे, जिनमें हत्या, लूट और रंगदारी जैसे मामलों का शामिल होना प्रमुख था।

गैंगस्टर भीमा: एक कुख्यात अपराधी

आयोध्या के रायपुर का रहने वाला भीमा, जो फिलहाल यमुनानगर के आजाद नगर में रहता था, उस पर कई आपराधिक मामलों में संलिप्त होने का आरोप था। वह नोनी राणा गैंग का एक सक्रिय सदस्य था, जो इलाके में आतंक फैलाने के लिए जाना जाता था। हाल ही में, 14 जुलाई को भीमा और उसके साथी अमन ने यमुनानगर के एक कारोबारी परिवार पर फायरिंग की और 5 करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की थी।

इस गैंग के खिलाफ पुलिस ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी थी, क्योंकि इसने कई लोगों की जिंदगी दांव पर लगाई थी। न केवल यह गैंग हत्या और लूट के मामलों में संलिप्त था, बल्कि इसका नाम अवैध शराब के कारोबार से भी जुड़ा था।

पुलिस का सामना: मुठभेड़ में हुई मौत

आज सुबह, पुलिस को जानकारी मिली कि भीमा रटौली इलाके में छिपा हुआ है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और उसे घेर लिया। लेकिन, जैसे ही पुलिस ने घेराबंदी की, भीमा ने ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इस गोलीबारी में पुलिस के दो सीआईए इंचार्ज की बुलेटप्रूफ जैकेट में गोलियां लगीं, लेकिन उनकी जान बच गई। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की, और इस दौरान भीमा को 6 गोलियां लगीं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

घटनास्थल को तुरंत सील कर दिया गया और फॉरेंसिक टीम ने सबूत जुटाने की प्रक्रिया शुरू की। इस एनकाउंटर के बाद एसपी कमलदीप गोयल भी घटनास्थल पर पहुंचे और मामले की जांच का निर्देश दिया।

पुलिस पर उठते सवाल और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत

भले ही पुलिस ने इस एनकाउंटर में सफलतापूर्वक भीमा को ढेर कर दिया, लेकिन इस घटना ने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है: क्या राज्य में गिरोहबंदी और संगठित अपराध के मामलों पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है? पुलिस की सख्ती और त्वरित कार्रवाई के बावजूद, ऐसी घटनाओं का बार-बार सामने आना दर्शाता है कि अपराधी गिरोहों के खिलाफ ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

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