
Up Kiran, Digital Desk: लैंगिक समानता और कार्यस्थल पर संवेदनशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में बांग्लादेश ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश ने महिला अधिकारियों को 'सर' कहकर संबोधित करने वाले एक पुराने नियम को रद्द कर दिया है। यह नियम पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान लागू किया गया था, और इसे अब लैंगिक संवेदनशील प्रोटोकॉल को अपनाने के व्यापक प्रयासों के तहत समाप्त कर दिया गया है।
यह फैसला केवल एक शब्द के बदलाव से कहीं अधिक है; यह एक सांस्कृतिक और वैचारिक बदलाव का प्रतीक है, जो कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए अधिक समावेशी और सम्मानजनक वातावरण बनाने की दिशा में बांग्लादेश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
लंबे समय से, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज संगठनों द्वारा इस प्रथा को बदलने की मांग की जा रही थी, क्योंकि उनका तर्क था कि यह लैंगिक रूढ़िवादिता को मजबूत करता है और महिला अधिकारियों को पुरुष समकक्षों के समान एक ऐसे संबोधन के तहत रखता है जो उनके लिंग को नकारता है।
हसीना सरकार के दौरान लागू इस नियम के तहत, महिला अधिकारियों को भी अपने वरिष्ठों या सहकर्मियों को 'सर' कहकर ही संबोधित करना पड़ता था, भले ही वे पुरुष हों या महिला। हालांकि, कई लोगों ने इसे आधुनिक प्रशासनिक और लैंगिक समानता के सिद्धांतों के विपरीत पाया।
अब इस नियम के हटने से, महिला अधिकारियों को उनके लिंग के आधार पर एक अधिक उपयुक्त और सम्मानजनक संबोधन, जैसे 'मैम' या उनके पद के अनुसार अन्य सम्मानजनक उपाधि से संबोधित किया जा सकेगा। यह कदम महिलाओं को उनके लिंग के बजाय उनकी योग्यता और पद के आधार पर सम्मान देने की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव है।
यह निर्णय शेख हसीना के बाद की अंतरिम सरकार द्वारा लिए गए प्रमुख सुधारों में से एक है, और यह दर्शाता है कि देश अपने सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे में अधिक प्रगतिशील और लैंगिक-संवेदनशील सुधारों को लागू करने के लिए उत्सुक है। यह कदम अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित कर सकता है जो अपने कार्यस्थल प्रोटोकॉल में लैंगिक समानता और सम्मान को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं।
--Advertisement--