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Up Kiran, Digital Desk: टेस्ट क्रिकेट की किताबों में एक ऐसा रिकॉर्ड दर्ज हो गया है, जो किसी भी टीम के लिए गौरव की बात नहीं है। इस बार जिम्बाब्वे के क्रिकेटरों को यह कड़वा सच झेलना पड़ा। वे हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैचों में इतनी बड़ी हार से दो-दो हाथ हुए कि क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह बात काफी हैरानी की रही।

न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई दो मैचों की इस सीरीज में जिम्बाब्वे टीम को 0-2 से हार का सामना करना पड़ा। पहले मैच में 9 विकेट से मात मिली, जबकि दूसरे मैच में स्थिति और भी खराब हुई और वे एक पारी और 359 रनों से हारे। यह हार तो उम्मीद के अनुरूप हो सकती है क्योंकि न्यूजीलैंड विश्व के मजबूत टीमों में से एक है, लेकिन इस सीरीज का रिकॉर्ड जितना शर्मनाक है उतना ही दुर्लभ भी।

संपूर्ण चार पारियों में जिम्बाब्वे के बल्लेबाजों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। उन्होंने क्रमशः 149, 165, 125 और 117 रन बनाए। इस दौरान कोई भी बल्लेबाज ना तो शतक बना सका और यहां तक कि कोई भी पचासा भी छू नहीं पाया। पहली पारी में शॉन विलियम्स ने सर्वाधिक 49 रन बनाए, जो इस सीरीज का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर था।

क्रिकेट इतिहास में टेस्ट सीरीज (कम से कम दो मैचों की) में यह केवल छठा मौका है जब किसी टीम का कोई भी खिलाड़ी 50 रन का आंकड़ा पार नहीं कर पाया। पिछली बार ऐसा 1895-96 के सत्र में हुआ था, जब दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज बार्बर्टन हॉलिवेल ने इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की घरेलू सीरीज में सर्वाधिक 41 रन बनाए थे।

दूसरे टेस्ट मैच की क्या रही कहानी?

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी जिम्बाब्वे टीम पहली पारी में महज 125 रन ही बना सकी। इसके बाद न्यूजीलैंड ने तीन बल्लेबाजों देवोन कॉनवे, राचिन रविंद्र और हेनरी निकोल्स की शतकीय पारियों के दम पर 3 विकेट खोकर 601 रन बनाकर पारी घोषित कर दी।

जिम्बाब्वे की बल्लेबाजी दूसरी पारी में भी निराशाजनक रही और टीम 117 रन पर ढेर हो गई। इस प्रकार न्यूजीलैंड ने भारी अंतर से जीत हासिल की, जो एक पारी और 359 रनों से अधिक था।

इस प्रदर्शन से जिम्बाब्वे की बल्लेबाजी कमजोर पक्ष के रूप में उभरी है और निश्चित ही उन्हें अपनी रणनीति और बल्लेबाजी सुधारने की जरूरत है। वहीं न्यूजीलैंड की टीम ने इस सीरीज में अपना दबदबा बरकरार रखा।

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