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हाथ टूट गया था। पूरे हाथ पर प्लास्टर चढ़ा हुआ था और टीम को उनकी जरूरत थी। मगर वह एक हाथ से कुछ नहीं कर सका। मगर टीम को उनकी जरूरत थी। इसके लिए उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी, वह मैदान में उतरे। उन्होंने केवल एक हाथ से बैटिंग की। मगर फिर भी उनकी बैटिंग जगजाहिर थी। क्योंकि उन्होंने एक हाथ से बैटिंग करते हुए तीन चौके लगाए थे. इनमें से एक शॉट उन्होंने हीट स्विच करते हुए मारा। तो सभी फैन्स ने इस बल्लेबाज की जिद की जमकर तारीफ की।

बीसीसीआई के टूर्नामेंट में ऐसा हुआ था। माना की रणजी ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट का सेमीफाइनल आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच चल रहा था। उस समय आंध्र प्रदेश के कप्तान और भारत के दिग्गज बल्लेबाज हनुमा विहारी के हाथ में फ्रैक्चर हो गया था, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। क्‍योंकि जब टीम को उनकी जरूरत थी तो वह हाथ में प्‍लास्‍टर होने के बावजूद बैटिंग करने उतरे. क्योंकि टीम को इस बार हनुमा की आवश्यकता थी।

क्योंकि आंध्र प्रदेश की पारी गरज गई थी. इसलिए आंध्र प्रदेश को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत थी। उस वक्त विहारी ने सोचा कि अगर हम मैदान में जाकर कप्तान बनकर लड़ेंगे तो इससे टीम का मनोबल बढ़ेगा। इसलिए वह जख्मी होने के बावजूद मैदान में उतरे। उन्होंने एक हाथ में बल्ला लेकर बैटिंग की और तीन चौके लगाए।

विहारी ने इस बार तीन चौकों की सहायता से 15 रन बनाए। मगर उसके बाद वह खेल नहीं पाए। मगर हनुमा जिस हालात में मैदान में उतरे उसकी ज्यादा तारीफ हो रही है। क्योंकि एक कप्तान के तौर पर उन्होंने टीम के लिए बेहतरीन उदाहरण पेश किया। विहारी ने ऑस्ट्रेलिया में भारत की ऐतिहासिक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मगर वक्त के साथ यह देखा गया कि उनकी उपेक्षा की जा रही थी। मगर अब हनुमा आंध्र प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं। मगर नेतृत्व करते हुए हनुमा की इस जिद की खूब तारीफ हो रही है।

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