
Up Kiran, Digital Desk: सुप्रीम कोर्ट ने टेरर फंडिंग के एक गंभीर मामले में बंद कश्मीरी अलगाववादी नेता नईम अहमद खान को अंतरिम जमानत देने से साफ इनकार कर दिया है. नईम खान ने अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए कोर्ट से रिहाई की गुहार लगाई थी, लेकिन जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने उसकी याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह फैसला सुनाया.
कोर्ट ने क्यों नहीं दी जमानत?
यह मामला 2017 का है, जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने और आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान से पैसे लेने के आरोप में कई अलगाववादी नेताओं पर केस दर्ज किया था. नईम खान भी उन्हीं में से एक है और तब से वह जेल में है. उस पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) जैसी सख्त धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह के गंभीर आरोप उस पर लगे हैं, उसे देखते हुए अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती. हालांकि, कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे नईम खान की उसकी बेटी से दिन में दो बार वीडियो कॉल के जरिए बात करने की व्यवस्था करें, ताकि वह शादी की रस्मों में वर्चुअली शामिल हो सके.
क्या है पूरा मामला: NIA ने अपनी जांच में पाया था कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन, ने कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए एक सोची-समझी साजिश के तहत अलगाववादी नेताओं को पैसा भेजा था. इस पैसे का इस्तेमाल पत्थरबाजों को भड़काने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और स्कूलों को जलाने जैसी देश-विरोधी गतिविधियों में किया गया. इसी मामले में नईम खान को 2017 में गिरफ्तार किया गया था और वह तब से न्यायिक हिरासत में है.
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