corruption in up: जीरो टॉलरेंस टू करप्शन तो बस एक नारा है जो चुनावी जनसभाओं और विधानसभा में दोहराने के लिए बना है उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार इस कदर फलफूल रहा है कि अफसरों की मिलीभगत के कारनामों लिस्ट अब लंबी होती जा रही है बात चाहे ED,CBI और विजलेंस की राडार पर चल रहे मुकेश श्रीवास्तव जैसे लोगों के साथ मिलीभगत कर के CMO की तैनाती करने कराने की हो या ब्लैकलिस्टेड कंपनियों द्वारा माल की खरीद फरोख्त की या ब्लैकलिस्टेड एजेंसियों से NHM भर्ती की हो उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग हमेशा अव्वल ही दिखेगा।
मंत्री जी तो ईमानदार हैं ही इसी लिए उपमुख्यमन्त्री जैसे पद पर सुशोभित है। साथ में उनके प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा तो मंत्री से भी ज़्यादा ईमानदार हैं लेकिन दोनों के ईमानदार होते हुए स्वास्थ्य विभाग को भ्रष्टाचार का सारथी कौन बना रहा है ये जाँच का विषय है दोनों से ही इन बिंदुओं पर जब कोई पत्रकार या अन्य कोई भी चर्चा करने की कोशिश करता है तो कोई दबी जबान मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ़ इशारा करता है तो कोई सीधे कह देता है मुख्यमंत्री मेरी सुनते ही कहाँ हैं मेरी मेरे विभाग में चलती ही कितनी है मैं करूँ।
खैर तथ्यों की बात की जाय तो ताजा मामलों में एक प्रकरण NHM में होने वाली CHO की भर्ती का है तो दूसरा मामला प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट आदिवासियों को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त कराने के लिए होने वाली जाँच किट की ख़रीद का है दोनों ही प्रकरणों में नियम क़ानून को धता बताने और बंदरबाँट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।
NHM होने वाली भर्ती के लिए महाराष्ट्र में ब्लैक लिस्टेड बंगलौर की कंपनी (ITI LIMITED) को चुना गया है जबकि टेंडर में यह शर्त थी कि कंपनी देश किसी भी राज्य में कभी ब्लैकलिस्टेड ना रही हो । भर्ती- आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में UP NHM CHO पद की है
पहले ये नियुक्ति KGMU के ज़रिए होती थी भर्ती और training दोनों काम KGMU ही करता था
(5527) CHO भर्ती January 2024 में ये विज्ञापन प्रकाशित हुआ था लेकिन भर्ती लंबित रखी गई अब वर्तमान में 8000 और CHO की भर्ती निकाली गई और पिछली भर्ती को इसी में क्लब किया गया यानी कुल 13527 CHO की भर्ती होनी थी
पहले वाले विज्ञापन में अभ्यर्थी को टेस्ट देना अनिवार्य नहीं था ईमानदारी का आवरण दिखाने के लिए नए विज्ञापन में टेस्ट अनिवार्य किया गया लेकिन पहले विज्ञापन में अप्लाई करने वालों का टेस्ट नहीं लिया गया बाद वाले विज्ञापन में अप्लाई करने वालों का टेस्ट लिया गया अर्थात भर्ती और नियुक्ति पत्र एक ही कंपनी ने जारी किया अर्थात समान पद के लिए एक साथ दो भर्ती प्रक्रियाओं का पालन किया गया मतलब पहले वालों से लेनदेन हो चुका था तो उनका पूरा ख्याल रखा गया और सारा काम ब्लैकलिस्टेड कंपनी से कराया गया
प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट सिकल सेल एनीमिया फ्री भारत के अंतर्गत NHM स्कीम में सिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली किट उस कंपनी से खरीदा जा रहा है जो केरल में इसी किट की खरीद मामले में ब्लैक लिस्टेड है (MERAL DIAGNOSTIC) इस कंपनी को काम देने के लिए टेंडर में दी गई प्रीटेस्टिंग की अनिवार्य शर्त का भी पालन नहीं किया गया फिर भी चुना गया।
इन तथ्यों को बारीकी से देखने के बाद भी मंत्री और प्रमुख सचिव बेहद ईमानदार प्रवृत्ति के हैं किसी ने कोई भी सवाल उठाया तो उसपर मुकदमा कर दिया जाएगा इसलिए स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की बात करना बेमानी है।
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