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नई दिल्ली: विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद से पारित होकर कानून बन चुका वक्फ (संशोधन) अधिनियम अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है। इस कानून को लेकर अब तक 73 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, जिनकी सुनवाई आज से सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो रही है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की एक विशेष बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।

कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता?
इन याचिकाओं में प्रमुख याचिकाकर्ताओं में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, डीएमके, और कांग्रेस के सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इनमें से 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। शेष याचिकाएं भी जल्द ही सूची में शामिल की जाएंगी।

केंद्र सरकार की कैविएट याचिका
इस बीच, केंद्र सरकार ने एक कैविएट दायर कर यह अनुरोध किया है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले सरकार की बात जरूर सुने। कैविएट का उद्देश्य यही होता है कि कोर्ट किसी एक पक्ष को सुने बिना आदेश पारित न करे।

जमीयत की याचिका और ओवैसी की आपत्ति
7 अप्रैल को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को सुनवाई की सूची तैयार करने का आश्वासन दिया। ओवैसी की ओर से अधिवक्ता लजफीर अहमद ने याचिका दाखिल की है, जिसमें यह कहा गया है कि वक्फ को मिले कानूनी संरक्षण में कटौती मुसलमानों के साथ भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है।

वक्फ बचाव अभियान: विरोध की नई रणनीति
वक्फ एक्ट के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने "वक्फ बचाव अभियान" नाम से एक राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू की है। इस अभियान का पहला चरण 11 अप्रैल से शुरू होकर 7 जुलाई तक चलेगा यानी कुल 87 दिनों तक। इस दौरान एक करोड़ लोगों से हस्ताक्षर लिए जाएंगे और उसके बाद अगली रणनीति तय की जाएगी।

वक्फ एक्ट की पृष्ठभूमि और संरचना

1950 में वक्फ संपत्तियों की कानूनी निगरानी की आवश्यकता महसूस की गई।

1954 में केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट बनाया और सेंट्रल वक्फ काउंसिल की स्थापना की।

1955 में इस कानून में संशोधन कर हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाए गए।

फिलहाल देशभर में करीब 32 वक्फ बोर्ड काम कर रहे हैं।

कुछ राज्यों में शिया और सुन्नी समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं।

                                                                                                                                                                          वक्फ संशोधन कानून की टाइमलाइन

8 अगस्त 2024: लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया।

8 अगस्त 2024: बिल संयुक्त संसदीय समिति को सौंपा गया।

30 जनवरी 2025: समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की।

                                                                                                                                                                          2 अप्रैल 2025: लोकसभा में यह बिल पारित हुआ।

3 अप्रैल 2025: राज्यसभा से भी यह बिल पास हो गया।

इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे अधिसूचित कर लागू कर दिया।

अब देश की सबसे बड़ी अदालत तय करेगी कि यह कानून संविधान सम्मत है या नहीं। आने वाले समय में यह फैसला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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