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Up kiran,Digital Desk : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कांके रोड स्थित आवास पर आज देश की आदिवासी राजनीति की एक बड़ी पंचायत जुटी। गुजरात से लेकर असम और मणिपुर तक, दर्जनों राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और उनसे एक सुर में यह आग्रह किया कि वे देशभर में चल रहे अलग-अलग आदिवासी आंदोलनों को एक चेहरा और एक नेतृत्व प्रदान करें।

इस गर्मजोशी से भरे स्वागत कार्यक्रम में आदिवासी नेताओं ने कहा कि अब समय आ गया है कि एकजुट होकर अपने हक और अधिकारों के लिए संघर्ष को और तेज किया जाए। इस पर मुख्यमंत्री सोरेन ने उन्हें न सिर्फ भरोसा दिलाया, बल्कि यह ऐलान भी किया कि वे खुद जल्द ही देश के विभिन्न हिस्सों में एक व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएंगे।

संघर्ष ऐसा हो कि राष्ट्रीय राजनीति में गूंजे: CM सोरेन

प्रतिनिधियों की मांग पर अपनी सहमति देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, "संघर्ष ऐसा होना चाहिए कि हमारी समस्याएं सिर्फ आवाज तक सीमित न रहें, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बनें। हमें यह साबित करना होगा कि हम बिखरे हुए लोग नहीं, बल्कि एक सशक्त राष्ट्र-समुदाय हैं, जिसे इतिहास के किनारे से निकलकर भविष्य के केंद्र तक पहुँचना है।"

अपने संबोधन में उन्होंने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा से लेकर दिशोम गुरु शिबू सोरेन तक के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि झारखंड की धरती हमेशा से वीरता और स्वाभिमान की प्रतीक रही है।

क्यों हेमंत सोरेन ही बने पहली पसंद?

देश भर से आए प्रतिनिधियों ने झारखंड सरकार द्वारा आदिवासियों के हित में उठाए गए कदमों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि झारखंड की पहल पूरे देश के आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि झारखंड आज देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां आदिवासी समुदाय के बच्चे सरकारी खर्च पर विदेशों में उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "आदिवासी समाज में एक नई रोशनी जगी है और इस उजाले को और तेज करने के लिए सरकार हर कदम पर समाज के साथ खड़ी है।"

प्रकृति से खिलवाड़ पर जताई चिंता

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से प्रकृति का रक्षक रहा है, लेकिन आज के आधुनिक समय में प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण बाढ़, सुखाड़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि अपने पूर्वजों की तरह हमें भी प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर अपनी धरती की रक्षा करनी होगी।

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर समेत कई राज्यों के सैकड़ों आदिवासी प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा और विधायक कल्पना सोरेन भी मौजूद रहीं।