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दिल की सेहत को लेकर हम अक्सर बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) के बारे में बात करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्राइग्लिसराइड्स भी दिल के लिए उतना ही बड़ा खतरा बन सकते हैं? रक्त में मौजूद यह वसा का प्रकार, अगर सामान्य सीमा से ज्यादा हो जाए, तो दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य गंभीर हृदय समस्याओं का कारण बन सकता है।

एशियाई अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रतीक चौधरी ने बताया कि ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को समय रहते नियंत्रित करना क्यों जरूरी है और कैसे इसे संतुलित रखा जा सकता है।

क्या है ट्राइग्लिसराइड्स?

ट्राइग्लिसराइड्स शरीर में पाई जाने वाली एक प्रकार की वसा है, जो मुख्य रूप से:

अतिरिक्त कैलोरी को वसा कोशिकाओं में स्टोर करने का काम करती है।

जब शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो यही वसा उपयोग में लाई जाती है।

लेकिन जब खपत से ज्यादा वसा जमा हो जाती है, तब यह रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को बढ़ाकर हृदय रोगों का खतरा कई गुना बढ़ा देती है।

कब और क्यों बढ़ते हैं ट्राइग्लिसराइड्स?

ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

अधिक कैलोरी युक्त भोजन (विशेष रूप से फैट और शुगर से भरपूर)।

लगातार जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों का सेवन।

अधिक मात्रा में शराब पीना।

मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता।

धूम्रपान, मधुमेह, थायरॉयड विकार।

कुछ विशेष दवाइयों का सेवन।

किडनी की बीमारियां।

आनुवांशिक कारण, जैसे फैमिलियल हाइपरट्राइग्लिसराइडेमिया।

अगर फैमिली हिस्ट्री में हाई ट्राइग्लिसराइड्स के मामले रहे हैं, तो आपको विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

कितना होना चाहिए ट्राइग्लिसराइड्स का सामान्य स्तर?

ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर (mg/dL)श्रेणी
150 से कमसामान्य
150–199बॉर्डरलाइन हाई
200–499हाई
500 से अधिकबहुत अधिक खतरनाक

टिप: यदि स्तर 500 mg/dL से अधिक हो जाए, तो तत्काल डॉक्टर से परामर्श लें क्योंकि यह पैंक्रियाटाइटिस (अग्न्याशय की सूजन) जैसी जटिलताओं का भी कारण बन सकता है।

हाई ट्राइग्लिसराइड्स के खतरे क्या हैं?

धमनियों में वसा जमना (एथेरोस्क्लेरोसिस)

दिल का दौरा और स्ट्रोक का बढ़ा खतरा

उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों का जोखिम

लिवर और पैंक्रियाज पर नकारात्मक प्रभाव

यानी हाई ट्राइग्लिसराइड्स सिर्फ दिल ही नहीं, पूरे शरीर के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

ट्राइग्लिसराइड्स कम कैसे करें?आहार में बदलाव करें:हरी सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, और हेल्दी फैट्स (जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड) का सेवन बढ़ाएं।शक्कर, तली-भुनी चीजें और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं।शराब और मीठे ड्रिंक्स को न के बराबर करें।नियमित व्यायाम करें:

हफ्ते में कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली एक्टिविटी करें (जैसे तेज चलना, साइक्लिंग या स्विमिंग)।

एक्टिव लाइफस्टाइल दिल की सेहत का सबसे बड़ा साथी है।

वजन नियंत्रित करें:

केवल 5-10% वजन घटाने से भी ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में बड़ा फर्क आ सकता है।

धूम्रपान और शराब छोड़ें:

ये आदतें सिर्फ ट्राइग्लिसराइड्स ही नहीं, पूरे हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं।

जरूरत पड़े तो दवाओं का सहारा लें:

यदि जीवनशैली में बदलाव से स्तर सामान्य नहीं होता, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर दवा शुरू करें।

नियमित जांच क्यों है जरूरी?

ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बिना लक्षण बढ़ सकता है, इसलिए नियमित ब्लड टेस्ट से इसकी निगरानी बेहद जरूरी है।
समय पर जांच, सही खानपान और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाकर दिल की सेहत को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

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