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Up Kiran, Digital Desk: कथित 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह किए जाने की खबरों के बीच, देश में किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारियां तेज हो गई हैं। सेना न केवल पाकिस्तान के किसी भी संभावित हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है, बल्कि आम जनता को भी ऐसे हालातों के लिए तैयार रहने और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में, देश भर के 244 जिलों में बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है। बिहार की राजधानी पटना समेत राज्य के 7 जिलों में भी यह अभ्यास किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य लोगों को दुश्मन के हमले की स्थिति में बचाव के तरीकों से अवगत कराना है।

पटना में 80 जगहों पर गूंजेगा युद्ध का सायरन

राजधानी पटना में यह मॉक ड्रिल शाम 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी। सबसे पहले, शहर के 80 विभिन्न स्थानों पर दो मिनट के लिए सायरन बजाया जाएगा। यह सायरन किसी संभावित हवाई हमले का संकेत होगा, और इसके बजते ही लोगों को तुरंत अलर्ट हो जाना है। सायरन के बाद पूरे इलाके में 'ब्लैकआउट' कर दिया जाएगा, यानी हर तरफ बत्ती गुल हो जाएगी और अंधेरा छा जाएगा। इस दौरान कहीं भी किसी भी तरह की रोशनी नहीं होनी चाहिए, ताकि दुश्मन के लड़ाकू विमानों को रिहायशी इलाकों का पता न चल सके और वे अपने लक्ष्य को भेदने में नाकाम रहें।

इस मॉक ड्रिल के माध्यम से लोगों में यह जागरूकता पैदा की जाएगी कि किसी भी हमले की स्थिति में उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। अभ्यास के दौरान फायर ब्रिगेड और स्थानीय थानों की गाड़ियों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि मॉक ड्रिल के दौरान घबराएं नहीं, क्योंकि यह सिर्फ एक अभ्यास है जो लोगों को आपात स्थिति के लिए तैयार करने और उन्हें सचेत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

क्या होता है 'ब्लैकआउट'?

'ब्लैकआउट' का सीधा सा मतलब है, पूरी तरह से बत्ती गुल कर देना। अक्सर युद्ध के दौरान दुश्मन के हवाई हमलों से बचने के लिए शहरों और कस्बों में ब्लैकआउट किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि रात के अंधेरे में हमलावर विमानों को नीचे कोई टारगेट दिखाई न दे और उन्हें अपने लक्ष्य को ढूंढने में कठिनाई हो।

भारत में कब-कब हुआ ब्लैकआउट? इतिहास के पन्ने

हमारे देश ने पहले भी युद्ध के समय ब्लैकआउट का अनुभव किया है: 1965 का भारत-पाक युद्ध: इस युद्ध के दौरान, खासकर पाकिस्तान सीमा से लगे प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, अमृतसर, और कोलकाता में ब्लैकआउट किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने लोगों को घरों की बत्तियां बंद करने और खिड़कियों पर काले पर्दे लगाने या उन्हें काले रंग से पेंट करने की सलाह दी थी, ताकि पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को आबादी वाले इलाकों का पता न चल सके।

1971 का भारत-पाक युद्ध: इस युद्ध में भी ब्लैकआउट का व्यापक रूप से पालन किया गया, विशेषकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अमृतसर जैसे बड़े शहरों में। शाम होते ही बिजली गुल कर दी जाती थी, और सायरन बजने पर लोग सुरक्षित स्थानों या बंकरों में छिप जाते थे। घरों की खिड़कियों पर काले पर्दे या पेंट लगाना अनिवार्य था, ताकि कोई भी रोशनी बाहर न जा सके।

यह मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट का अभ्यास हमें उन मुश्किल दिनों की याद दिलाता है और भविष्य की किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहने के महत्व को रेखांकित करता है।

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