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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा में बुधवार को एक बार फिर से राजनीतिक तनाव ने विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस को जन्म दिया, जिससे आम जनता की उम्मीदें और सवाल दोनों बढ़ गए हैं। इस दौरान विधानसभा की कार्यवाही महज आधे घंटे से भी कम समय में बाधित हो गई, जिससे प्रदेश के विकास कार्यों पर असर पड़ने की चिंता जताई जा रही है।
सत्र की शुरुआत में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव के भाषण के दौरान सत्ता पक्ष के नेताओं ने बार-बार बाधा डाली, जिससे माहौल गर्मा गया। खासतौर पर उप-मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी के भाषण पर सवाल उठाकर बहस को और उलझा दिया। इस विवाद के बीच राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने तंज कसा, जो विधानसभा की गरिमा पर सवाल उठाने जैसा था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सख्त कार्रवाई की चेतावनी देते हुए भाई वीरेंद्र से माफी मांगने को कहा।
हालांकि, सत्ता पक्ष के कई मंत्रियों और विधायकों ने इस निर्देश को नजरअंदाज करते हुए जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने कई बार शांत रहने को कहा, लेकिन जब नेता तेजस्वी ने भाई वीरेंद्र के बयान का बचाव किया, तो हंगामा और बढ़ गया और अंततः सदन को स्थगित करना पड़ा। स्थगन के दौरान नंद किशोर यादव ने उप-मुख्यमंत्री को स्पष्ट संकेत दिया कि सदन में शांति बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है, न कि हंगामा करना।
इस पूरी स्थिति ने यह सवाल उठाए हैं कि क्या राजनीतिक दल विधानसभा में चल रहे काम-काज को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने में सक्षम हैं या लगातार विवादों में उलझ कर जनता की समस्याओं से ध्यान भटका रहे हैं। आम लोगों को यह देखना है कि क्या उनके प्रतिनिधि सत्ता में रहते हुए असल मुद्दों पर ध्यान देंगे या राजनीतिक नोकझोंक का हिस्सा बने रहेंगे।
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