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Up Kiran, Digital Desk: 4 जुलाई, जिसे अमेरिकी अपने 'स्वतंत्रता दिवस' के रूप में मनाते हैं, सिर्फ एक छुट्टी का दिन नहीं, बल्कि एक ऐसे देश की असाधारण कहानी का प्रतीक है जिसने उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़कर दुनिया की सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनने का सफर तय किया। यह एक ऐसा सफर है जिसमें संघर्ष है, विस्तार है और फिर वैश्विक प्रभाव का अभूतपूर्व प्रदर्शन भी।

गुलामी की बेड़ियाँ और आज़ादी की लड़ाई:
एक समय था जब आज का 'शक्तिशाली अमेरिका' ब्रिटिश साम्राज्य का एक हिस्सा था। 17वीं सदी में यूरोपीय उपनिवेशवादियों ने यहाँ अपनी बस्तियाँ बसाईं, और जल्द ही ये ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गईं। लेकिन इन उपनिवेशों में रहने वाले लोग, विशेषकर ब्रिटिश सरकार के बढ़ते करों और कठोर नियमों से त्रस्त थे। 

1776 में, इन 13 उपनिवेशों ने जॉर्ज वाशिंगटन, थॉमस जेफरसन और बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे दूरदर्शी नेताओं के मार्गदर्शन में स्वतंत्रता का बिगुल फूंका। अमेरिकी क्रांति (American Revolution) का जन्म हुआ और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक लंबी और खूनी लड़ाई लड़ी गई। 4 जुलाई 1776 को 'स्वतंत्रता की घोषणा' (Declaration of Independence) की गई, जिसमें मानव अधिकारों और स्वशासन के आदर्शों को रेखांकित किया गया। आखिरकार, 1783 में पेरिस की संधि के साथ अमेरिका ने अपनी स्वतंत्रता हासिल कर ली।

विस्तार और आंतरिक संघर्ष:
आज़ादी के बाद, इस नए राष्ट्र ने अपनी सीमाओं का विस्तार करना शुरू किया। लुइसियाना खरीद (Louisiana Purchase) और मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध (Mexican-American War) जैसी घटनाओं ने देश को पश्चिमी तट तक फैला दिया। लेकिन इस विस्तार के साथ ही देश को अपनी सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती का सामना करना पड़ा: गुलामी। दास प्रथा को लेकर देश दो धड़ों में बँट गया और 1861 में गृहयुद्ध (Civil War) छिड़ गया। इस युद्ध में लाखों जानें गईं, लेकिन अंततः गुलामी को समाप्त कर दिया गया, जिससे अमेरिका के 'स्वतंत्रता' के आदर्शों को एक नई परिभाषा मिली।

विश्व युद्धों से वैश्विक शक्ति तक:
बीसवीं सदी ने अमेरिका को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी। पहले विश्व युद्ध (WWI) में देर से शामिल होने के बावजूद, अमेरिका ने मित्र राष्ट्रों की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध (WWII) ही वह मोड़ था जिसने अमेरिका को एक वास्तविक महाशक्ति के रूप में स्थापित किया। पर्ल हार्बर पर हमले के बाद अमेरिका सीधे युद्ध में कूदा और मित्र राष्ट्रों की जीत सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभाई। युद्ध के बाद, इसने संयुक्त राष्ट्र (UN) और नाटो (NATO) जैसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई।

शीत युद्ध और एकध्रुवीय विश्व:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अमेरिका ने सोवियत संघ के साथ 'शीत युद्ध' में प्रवेश किया। यह विचारधाराओं, परमाणु हथियारों और परोक्ष युद्धों का दौर था। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ, अमेरिका दुनिया की एकमात्र महाशक्ति बनकर उभरा।

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