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लोकसभा में राहुल गांधी का 'ऑपरेशन सिंदूर' पर भाषण कांग्रेस के लिए अच्छी शुरुआत हो सकता था, लेकिन वह अपने ही निशाने पर खरा नहीं उतर पाया। उनके भाषण की रणनीति में कमियाँ दिखीं, जिसने मोदी सरकार को बढ़त देने से रोका ही नहीं, बल्कि कांग्रेस की छवि को भी चोट पहुंचाई। 

 

नीचे पांच प्रमुख कारण दिए गए हैं:

1. राजनीतिक इच्छा की कमी का चीखता आरोप

राहुल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार में 'राजनीतिक इच्छाशक्ति' की कमी थी, और उन्होंने माना कि ऑपरेशन केवल प्रधानमंत्री के भावनात्मक छवि बचाव के लिए चला। यह विश्वसनीय नहीं लगा और जनता ने इसे महत्वहीन राजनीतिक रोटियों की तरह देखा।

2. सेना पर अविश्वास का संदेश

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के दौरान पायलटों की 'हाथ बांधे गए', जिससे यह लगा कि वे सेना पर विश्वास नहीं करते। इससे विपक्ष को ही नुकसान हुआ, क्योंकि रक्षा पक्ष ने इसे कांग्रेस की सेना विरोधी छवि के रूप में पेश किया।

3. ट्रंप को ‘झूठा’ कहने की चुनौती

राहुल ने प्रधानमंत्री को ट्रंप को 'liar' कहने की चुनौती दी। यह बयान भारी विवादास्पद हुआ और विपक्ष की संजीदगी को संदेह में डाल दिया क्योंकि ट्रंप से सीधे जुड़ा कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया।

4. सरकार ने नारैटिव का युद्ध जीत लिया

भले ही राहुल ने विदेश नीति में पाकिस्तान-चीन गठजोड़ का जिक्र किया, सरकार ने सत्ता में आने वाले अमेरिकी और वैश्विक मीडिया के समर्थन से ‘नैरेटिव’ सफलतापूर्वक मोड़ लिया। ऐसा लगा कि कांग्रेस पीछे छूट गई है।

5. स्कंदाल के बजाय आरोप भगोड़े साबित हुए

कुछ विपक्षी नेताओं ने राहुल के भाषण को 'childish' और गैर-जिम्मेदारीपूर्ण बताया। एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि राहुल के आरोप मोदी या सरकार को नहीं बल्कि कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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