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भारत में कोविड-19 के नए सब-वेरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। ये वेरिएंट्स केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में पाए गए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इन वेरिएंट्स से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना महत्वपूर्ण है।
नए वेरिएंट्स की विशेषताएँ
NB.1.8.1 और LF.7 वेरिएंट्स में कुछ जीनोम म्यूटेशन पाए गए हैं, जो इनकी ट्रांसमिशन क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
ये वेरिएंट्स अभी WHO द्वारा "Variants Under Monitoring" के तहत रखे गए हैं, जिसका मतलब है कि इनकी निगरानी की जा रही है, लेकिन इन्हें "Variants of Concern" नहीं माना गया है।
एक्सपर्ट्स की राय
डॉ. रणदीप गुलेरिया, पूर्व निदेशक, AIIMS, के अनुसार, "इन नए वेरिएंट्स से गंभीर बीमारियाँ नहीं हो रही हैं।" उन्होंने कहा कि ये वेरिएंट्स अधिक संक्रामक हो सकते हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं बढ़ी है।
WHO ने भी इन वेरिएंट्स को लेकर चिंता जताई है, लेकिन अभी तक इन्हें वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा नहीं माना गया है।
किसे है सतर्क रहने की जरूरत?
60 वर्ष से ऊपर के लोग, जो पहले से किसी बीमारी से ग्रसित हैं।
गर्भवती महिलाएँ और बच्चे, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है।
स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स, जो अधिक जोखिम में रहते हैं।
क्या करें?
मास्क पहनना और हाथों की सफाई बनाए रखना।
भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचना।
कोविड-19 के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच करवाना।
भारत में कोविड-19 अब एंडेमिक स्थिति में है, यानी यह बीमारी अब सामान्य हो गई है और इसके साथ जीने की आदत डालनी होगी। हालांकि, सतर्कता बनाए रखना और समय-समय पर जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।
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