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Up Kiran, Digital Desk: भारत ने हवा में अपनी ताकत का लोहा पूरी दुनिया को मनवा दिया है. वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) की 2025 की ग्लोबल एयर पावर रैंकिंग में भारतीय वायुसेना ने चीन को पीछे छोड़ते हुए तीसरा स्थान हासिल कर लिया है. यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल है, जो सालों की मेहनत, सटीक रणनीति और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों का नतीजा है.

कैसे बने हम नंबर तीन: इस रैंकिंग में अमेरिका पहले और रूस दूसरे स्थान पर हैं. लेकिन खास बात यह है कि भारत ने 69.4 प्वाइंट्स के साथ चीन (63.8 प्वाइंट्स) को चौथे स्थान पर धकेल दिया है. भारत की इस बड़ी छलांग के पीछे कई अहम वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह है भारतीय वायुसेना का वास्तविक युद्ध का अनुभव.

जहां एक ओर चीन की वायुसेना ने दशकों से किसी बड़े युद्ध में हिस्सा नहीं लिया है, वहीं भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयरस्ट्राइक और 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे मिशनों में अपनी ताकत और सटीकता का प्रदर्शन किया है. WDMMA ने इस बात को माना है कि कागजों पर ताकत दिखाने और असल मैदान में जंग लड़ने में बड़ा फर्क होता है, और भारत ने इसे साबित करके दिखाया है.

'तेजस' ने बढ़ाई शान: इस सफलता में भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान 'तेजस एमके-1ए' का भी बड़ा योगदान है. हाल ही में तेजस के इस सबसे एडवांस वर्जन ने अपनी पहली उड़ान भरी, जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के लिए गर्व का क्षण बताया. यह विमान न सिर्फ technologically एडवांस्ड है, बल्कि दूसरे देशों से खरीदे जाने वाले विमानों की तुलना में काफी सस्ता भी है. पूरी तरह से भारत में बने होने के कारण इसका रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स भी आसानी से और कम कीमत पर उपलब्ध हैं.

तेजस एमके-1ए सुपरसोनिक विमान है जो 3,000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. यह ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है और 5,300 किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकता है.

संतुलित और विविध बेड़ा: भारत की एक और बड़ी ताकत है वायुसेना का संतुलित बेड़ा. हमारे पास लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ट्रेनर एयरक्राफ्ट और ड्रोन का सही मिश्रण है. वहीं, चीन के बेड़े में 52.9% सिर्फ लड़ाकू विमान हैं, जो उसे कम विविध बनाता है. इसके अलावा, भारत फ्रांस से राफेल, रूस से सुखोई और अमेरिका से अपाचे-चिनूक जैसे अलग-अलग देशों के बेहतरीन विमानों का इस्तेमाल करता है. यह दिखाता है कि हम किसी एक देश पर निर्भर नहीं हैं.