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Up Kiran, Digital Desk: क्या आप जानते हैं कि रूस का तेल इतना सस्ता क्यों है और भारत-रूस के इस संबंध पर अमेरिका की नाराजगी के पीछे क्या कारण छिपे हैं? पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका की नई आर्थिक नीतियों ने विश्व व्यापार में तहलका मचा दिया है, खासकर डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद। उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ और अन्य प्रतिबंधों ने कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा प्रभाव डाला है। भारत पर भी अब पहले जैसी छूट नहीं रही और अमेरिका खासकर भारत की रूस के साथ बढ़ती ऊर्जा साझेदारी को लेकर असंतुष्ट है।

ट्रंप प्रशासन भारत से यह उम्मीद करता है कि वह रूस से तेल की खरीद कम करे, जिसके लिए उन्होंने भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत तक अतिरिक्त टैरिफ और जुर्माने की धमकी भी दी है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर रूस का तेल इतना सस्ता कैसे हो पाता है, वही अन्य देश इस प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते?

रूस का तेल उत्पादन विश्व में दूसरे स्थान पर है। यहां रोजाना लगभग 95 लाख बैरल तेल निकाला जाता है, जो विश्व की कुल मांग का लगभग दस प्रतिशत है। इसके अलावा रूस हर दिन करीब 45 लाख बैरल कच्चा और 23 लाख बैरल रिफाइन तेल विदेशों को भेजता है। यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के बावजूद रूस का तेल बाजार से पूरी तरह बाहर नहीं हुआ है, हालांकि मार्च 2022 में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं।

पश्चिमी देशों ने रूस से तेल आयात रोक दिया है, जिससे रूस को अपनी तेल बिक्री के लिए नए खरीदारों की तलाश करनी पड़ी। प्रतिबंधों के कारण रूस को उन देशों को कम दाम पर तेल बेचने को मजबूर होना पड़ा जो इन प्रतिबंधों में शामिल नहीं हैं, जैसे भारत। इसके अलावा रूस में तेल उत्पादन की लागत भी कई क्षेत्रों में कम होने से वह कम कीमतों पर भी मुनाफा कमा सकता है।

भारत ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत तेल आयात पर निर्भर करता है। रूस की किफायती तेल आपूर्ति भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम है। अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो कच्चे तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं को भारी आर्थिक दबाव में डाल सकती हैं।

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