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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी माहौल और प्रचार अभियान अपने चरम पर हैं। इस बार की सियासी जंग में एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपनी-अपनी जीत की उम्मीदें लगाए बैठे हैं। लेकिन ताजा ओपिनियन पोल के आंकड़े एनडीए की मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं। आईएएनएस और मैटराइज द्वारा किए गए इस सर्वे में एनडीए को 153 से 164 सीटों के बीच अनुमानित सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।

प्रशांत किशोर का जनसुराज: बहुत कम सीटों की उम्मीद
हालांकि सर्वेक्षण में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज के प्रदर्शन को लेकर कुछ उम्मीदें जरूर जताई गई हैं, लेकिन इसका असर बहुत सीमित दिखाई दे रहा है। जनसुराज के लिए सर्वे में 1 से 3 सीटों का अनुमान है, जो कि प्रशांत किशोर के दावों से कहीं कम है। इस पार्टी को करीब 4 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है।

यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि प्रशांत किशोर की पार्टी बिहार के विधानसभा चुनाव में कोई खास पकड़ बना पाने में असमर्थ दिख रही है, हालांकि वे राज्य की 243 सीटों में से 238 पर उम्मीदवार उतार रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि खुद प्रशांत किशोर किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और पूरी तरह से पार्टी के प्रचार में व्यस्त हैं।

एनडीए की स्थिति मजबूत, महागठबंधन की चुनौती
जहां एक ओर एनडीए अपने समर्थन में मजबूती महसूस कर रहा है, वहीं महागठबंधन के लिए यह चुनाव आसान नहीं लगता। महागठबंधन के समर्थक अपने नेताओं की ओर से जीत के बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन ताजा सर्वे में एनडीए के सामने उनके लिए कड़ी चुनौती खड़ी होती हुई दिख रही है। खासकर जब एनडीए को सत्ताधारी पार्टी के रूप में जो समर्थन मिल रहा है, उससे स्थिति उनके पक्ष में जाती हुई नजर आ रही है।

बिहार की राजनीति में यह चुनाव इस बार पहले से कहीं अधिक दिलचस्प बन गया है। जनता का मूड क्या है और कौन सा गठबंधन किस तरह अपनी रणनीति को मैदान में उतारेगा, इसका फैसला जल्द ही आने वाला है।