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Up Kiran, Digital Desk: अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान दुर्घटना के बाद देश में नागरिक उड्डयन क्षेत्र को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) समेत कई संगठन हवाई यात्रियों की सुरक्षा को लेकर काम कर रहे हैं। हालांकि, इन संगठनों में औसतन 35 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं। DGCA में यह आंकड़ा 48 फीसदी तक है।
इसके चलते मौजूदा अधिकारियों और कर्मचारियों पर काम का काफी दबाव है। इस दबाव के चलते हवाई यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हैरानी की बात यह है कि आंकड़े बताते हैं कि पिछले कई सालों से इन रिक्तियों को स्थायी रूप से भरने में आनाकानी की जा रही है।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) नागरिक उड्डयन क्षेत्र में नियामक संस्था है। DGCA का काम मुख्य रूप से सुरक्षा मुद्दों से जुड़ा है।
DGCA मुख्य रूप से भारत में हवाई परिवहन सेवाओं को विनियमित करने और नागरिक उड्डयन नियमों, हवाई सुरक्षा और उड़ान योग्यता मानकों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है। डीजीसीए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के साथ सभी विनियामक गतिविधियों का समन्वय करता है। डीजीसीए में 1,692 स्वीकृत पद थे। हालांकि, इनमें से केवल 878 पदों पर ही अधिकारी कार्यरत हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
नागर विमानन क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं में कर्मचारियों की भारी कमी सामने आई है। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) में वर्ष 2024 में कुल 1,692 स्वीकृत पद थे, जिनमें से 811 पद रिक्त थे। यह स्थिति 2025 के मार्च तक और भी बिगड़ गई, जब रिक्त पदों की संख्या बढ़कर 814 हो गई। इसी प्रकार, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो में 2024 में कुल 598 स्वीकृत पदों के मुकाबले 187 पद खाली थे, जो 2025 के मार्च तक बढ़कर 224 तक पहुंच गए। वहीं, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) में 2024 में 24,882 पदों में से 8,804 पद रिक्त थे, वही 2025 के शुरुआती महीनों में स्वीकृत पदों की संख्या बढ़कर 25,730 हो गई, मगर रिक्तियां भी बढ़कर 9,502 तक पहुंच गईं।
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