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दिव्या देशमुख बनीं भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर, जानिए शतरंज में कैसे बनते हैं ग्रैंडमास्टर

भारत की युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने ग्रैंडमास्टर (GM) का खिताब अपने नाम कर लिया है और इस तरह वह यह सम्मान पाने वाली भारत की चौथी महिला खिलाड़ी बन गई हैं।

दिव्या का यह सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने कम उम्र से ही शतरंज में गहरी रुचि दिखाई और लगातार अपने खेल में सुधार करते हुए कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में शानदार प्रदर्शन किया। उनका यह खिताब महिला खिलाड़ियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

शतरंज में कैसे बनते हैं ग्रैंडमास्टर?

ग्रैंडमास्टर (GM) शतरंज की दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित खिताब होता है, जिसे वर्ल्ड चेस फेडरेशन (FIDE) प्रदान करती है। यह खिताब पाने के लिए किसी खिलाड़ी को तीन बार GM नॉर्म्स पूरे करने होते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में अच्छे प्रदर्शन के आधार पर मिलते हैं। इसके साथ ही खिलाड़ी की FIDE रेटिंग भी 2500 या उससे अधिक होनी चाहिए।

दिव्या देशमुख ने अपने तीनों GM नॉर्म्स पूरे किए और साथ ही 2500 रेटिंग अंक का लक्ष्य भी पार किया। इसी के साथ उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया।

भारत में अब तक की महिला ग्रैंडमास्टर्स:

1. कोनेरु हम्पी

 

2. हारिका द्रोणावल्ली

 

3. आर. वैशाली

 

4. दिव्या देशमुख

 

दिव्या की इस सफलता से शतरंज में भारत की स्थिति और मजबूत हुई है। उनके खेल ने न केवल देश को गौरवान्वित किया है, बल्कि भविष्य की महिला खिलाड़ियों को एक नई राह भी दिखाई है।

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