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Up Kiran, Digital Desk: बरसात का मौसम अक्सर चिलचिलाती गर्मी से राहत लेकर आता है, लेकिन इस राहत के साथ ही यह मौसम संक्रमणों (infections) के पनपने के लिए एकदम सही माहौल भी तैयार करता है। उच्च आर्द्रता (high humidity), रुके हुए पानी (stagnant water), और तापमान में उतार-चढ़ाव (fluctuating temperatures) लोगों को कई तरह की मौसमी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना देते हैं। यह वह समय है जब हमें अपनी सेहत का अतिरिक्त ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।

डॉ. आबिद अमीन भट की चेतावनी: मानसून में क्यों बढ़ जाता है बीमारियों का खतरा

डॉ. आबिद अमीन भट, एमबीबीएस, एमडी (इंटरनल मेडिसिन) और उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के मेडिकल डायरेक्टर के अनुसार, "गीली परिस्थितियाँ (damp conditions) और खराब स्वच्छता (poor sanitation) का संयोजन हमारी इम्यूनिटी (immunity) को कमजोर कर सकता है और बीमारियों को अधिक आसानी से फैलने दे सकता है।" मानसून के दौरान, साफ-सफाई और पानी की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह समय है जब हमें अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह मौसमी बीमारियों से लड़ने की हमारी पहली पंक्ति है।

मानसून में होने वाली आम मौसमी बीमारियाँ और उनके खतरे:

वेक्टर-जनित बीमारियाँ (Vector-borne Diseases):मानसून का मौसम मच्छरों (mosquitoes) के प्रजनन (breeding) के लिए स्वर्ग के समान होता है। रुके हुए पानी, जैसे कि कूलर, गमले, टूटे हुए बर्तन, नालियों में जमा पानी या कहीं भी जमा हुआ पानी, मच्छरों के लिए अंडे देने का आदर्श स्थान बन जाता है। इसी कारण, डेंगू (Dengue), मलेरिया (Malaria), और चिकनगुनिया (Chikungunya) जैसी मच्छर-जनित बीमारियाँ (mosquito-borne infections) इस मौसम में खतरनाक रूप से बढ़ जाती हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए अपने आसपास पानी जमा न होने दें, मच्छरदानी का प्रयोग करें, और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें। डेंगू से बचाव और मलेरिया से बचाव के लिए ये तरीके अत्यंत प्रभावी हैं। ये संचारी रोग (infectious diseases) हैं जो मच्छर के काटने से फैलते हैं।

जलजनित बीमारियाँ (Waterborne Diseases):बारिश का पानी अपने साथ कई तरह की गंदगी और बैक्टीरिया (bacteria) लेकर आता है, जो अक्सर पेयजल स्रोतों (drinking water sources) को दूषित कर देते हैं। टाइफाइड (Typhoid), हैजा (Cholera), दस्त (Diarrhoea) और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (gastrointestinal) समस्याएँ इसी कारण फैलती हैं। दूषित पानी (contaminated drinking water) या अशुद्ध भोजन (unhygienic food) का सेवन इन संक्रमणों को दावत दे सकता है। इसलिए, मानसून में हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिएं और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। पेट के रोग (Stomach problems) और वायरल बुखार (Viral fever) से बचने के लिए यह बहुत ज़रूरी है।

 श्वसन संबंधी रोग (Respiratory Diseases):मानसून के दौरान तापमान में अचानक बदलाव (unseasonal changes in temperature) और नमी (wetness) के कारण सर्दी-जुकाम (cold), फ्लू (flu), ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और अन्य श्वसन संबंधी संक्रमण (respiratory infections) होने का खतरा बढ़ जाता है। शरीर का तापमान नियंत्रित न रह पाने और नमी के कारण श्वसन तंत्र (respiratory system) पर असर पड़ता है। ऐसे में, खुद को गर्म और सूखा रखना, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना, और संतुलित आहार लेना बहुत ज़रूरी है।

त्वचा और फंगल संक्रमण (Skin and Fungal Infections):बढ़ी हुई आर्द्रता (Increased humidity) त्वचा के लिए भी समस्याएं खड़ी कर सकती है। फंगल संक्रमण (fungal infections) जैसे दाद (ringworm), एथलीट फुट (athlete's foot) और अन्य त्वचा संक्रमण (skin infections) इस मौसम में तेजी से फैलते हैं। गीले कपड़ों को देर तक पहने रहने या त्वचा को देर तक गीला रखने से ये संक्रमण हो सकते हैं। अपनी त्वचा को हमेशा सूखा और साफ रखने का प्रयास करें, और यदि आवश्यक हो तो एंटी-फंगल (anti-fungal) उत्पादों का उपयोग करें।

मानसून में बीमारियों से बचाव के उपाय: मानसून के दौरान ये स्वास्थ्य जोखिम (health risks) वास्तविक हैं, लेकिन सही सावधानियों (right precautions) के साथ इन्हें काफी हद तक टाला जा सकता है। अपनी इम्युनिटी (Immunity) को मजबूत करने के लिए पौष्टिक आहार लें, पर्याप्त आराम करें, और व्यक्तिगत स्वच्छता (Sanitation) का विशेष ध्यान रखें। जलभराव (Waterlogging) को अपने आसपास न होने दें और संचारी रोगों (Infectious diseases) से बचाव के लिए जागरूक रहें।

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