
जब आप जमीन, फ्लैट, मकान या दुकान जैसी प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो उसके साथ एक बड़ा खर्च होता है – स्टांप ड्यूटी। ये एक ऐसा टैक्स है जो हर प्रॉपर्टी लेन-देन पर सरकार को देना पड़ता है और अक्सर ये लाखों रुपये तक पहुंच जाता है। स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार द्वारा वसूली जाती है, और यह प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू या ट्रांजैक्शन वैल्यू (जो भी ज्यादा हो) के आधार पर तय होती है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या इस स्टांप ड्यूटी को कानूनी रूप से कम किया जा सकता है? जवाब है – हां। कुछ आसान लेकिन प्रभावी उपायों से आप इस बोझ को कम कर सकते हैं।
1. महिला को बनाएं जॉइंट ओनर
अगर आप स्टांप ड्यूटी में बचत करना चाहते हैं, तो प्रॉपर्टी को पत्नी, मां या किसी महिला सदस्य के नाम पर खरीदें या उन्हें जॉइंट ओनर बनाएं। कई राज्यों में महिला खरीदारों को स्टांप ड्यूटी में विशेष रियायत मिलती है।
दिल्ली: पुरुषों के लिए स्टांप ड्यूटी 6%, महिलाओं के लिए 4%
महाराष्ट्र और हरियाणा: महिलाओं के लिए कम रेट पर स्टांप ड्यूटी
इस तरह आप कुछ प्रतिशत स्टांप ड्यूटी की बचत कर सकते हैं जो बड़ी रकम में बदल सकती है।
2. प्रॉपर्टी की सही कीमत का मूल्यांकन कराएं
अक्सर ऐसा होता है कि प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू कम होती है, लेकिन डील सर्किल रेट के हिसाब से ज्यादा में होती है। ऐसी स्थिति में आप सरकार से प्रमाण के साथ अपील कर सकते हैं कि असल बाजार मूल्य सर्किल रेट से कम है।
यदि कलेक्टर को आपका दावा सही लगता है, तो आपको स्टांप ड्यूटी में राहत मिल सकती है।
इसके लिए आपको वास्तविक वैल्यू का प्रमाण देना होता है जैसे कि वैल्युएशन रिपोर्ट।
3. आयकर में छूट का लाभ उठाएं
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत, आप स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज पर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।
यह सुविधा केवल नई आवासीय संपत्तियों पर मिलती है।
यह लाभ उसी वित्तीय वर्ष में मिलता है, जिसमें भुगतान किया गया हो।
पुरानी या व्यावसायिक प्रॉपर्टी पर यह लाभ नहीं मिलता।
4. अफोर्डेबल हाउसिंग का विकल्प चुनें
सस्ती या अफोर्डेबल हाउसिंग योजनाओं के तहत स्टांप ड्यूटी में काफी राहत मिल सकती है। कई राज्य सरकारें पहली बार घर खरीदने वालों को इस पर पूर्ण या आंशिक छूट देती हैं।
उदाहरण:
दिल्ली: 45 लाख तक की प्रॉपर्टी पर पहली बार खरीदने वाले को स्टांप ड्यूटी माफ
महाराष्ट्र: मुंबई में 35 लाख और अन्य शहरों में 30 लाख तक की प्रॉपर्टी पर छूट