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                                                Up Kiran, Digital Desk: एक ज़माना था जब धूम्रपान (Smoking) को शान की बात समझा जाता था। आज वही सिगरेट सेहत की सबसे बड़ी दुश्मन मानी जाती है। अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ एक नई और उससे भी बड़ी महामारी की चेतावनी दे रहे हैं, और वह है - बहुत देर तक बैठना (Prolonged Sitting)।
जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। जिस आरामदायक कुर्सी पर आप दिन के 8-10 घंटे बिताते हैं, वह आपके शरीर के लिए उतनी ही खतरनाक साबित हो रही है, जितनी सिगरेट। यही वजह है कि आज दुनियाभर के डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट्स एक नई और बेहद डरावनी लाइन कह रहे हैं - "Sitting is the new smoking" (बैठना ही नया धूम्रपान है)।
क्यों है बैठना इतना खतरनाक? यह एक 'साइलेंट किलर' कैसे है?
जब हम सिगरेट पीते हैं, तो हमें पता होता है कि हम अपने फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन बैठने में हमें कोई खतरा नज़र नहीं आता। यहीं हम सबसे बड़ी गलती कर बैठते हैं। जब आप लगातार एक ही जगह पर घंटों तक बैठे रहते हैं, तो आपका शरीर धीरे-धीरे 'शटडाउन' मोड में जाने लगता है।
जोड़ों का जाम होना: हमारे जोड़ (Joints), खासकर कूल्हे और घुटने, चलने-फिरने के लिए बने हैं, एक जगह जमने के लिए नहीं। लगातार बैठे रहने से इन जोड़ों में लुब्रिकेशन कम हो जाता है, मांसपेशियां अकड़ जाती हैं और उनमें दर्द शुरू हो जाता है। यही वजह है कि आजकल कम उम्र में ही लोगों को कमर दर्द, गर्दन में अकड़न और घुटनों की समस्या होने लगी है। यह आपके जोड़ों के लिए धीमे ज़हर की तरह काम करता है।
मांसपेशियों का गलना: जब आप चलते-फिरते हैं, तो आपके पैरों और कोर की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं। लेकिन बैठे रहने पर इनका कोई इस्तेमाल नहीं होता, जिससे ये कमजोर और निष्क्रिय होने लगती हैं।
मेटाबॉलिज्म का धीमा पड़ना: बैठने के कुछ ही मिनटों के अंदर शरीर की कैलोरी जलाने की क्षमता बेहद धीमी हो जाती है। फैट को पचाने वाले एंजाइम्स का उत्पादन 90% तक घट जाता है।
दिल की बीमारियों को सीधा न्योता: लंबे समय तक बैठने से ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है, जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) नसों में जमा होने लगता है। यह सीधे तौर पर हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और दिल के दौरे के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है।
धूम्रपान की तरह ही है लत:जैसे सिगरेट की लत छोड़ना मुश्किल है, वैसे ही हमारी दिनचर्या में बैठना इतना शामिल हो चुका है कि हम इसके आदी हो गए हैं। ऑफिस का काम, गाड़ी चलाना, टीवी देखना - हम दिन का 70-80% हिस्सा बैठकर ही गुजारते हैं।
तो इसका समाधान क्या है? इसका समाधान बहुत सरल है। आपको मैराथन दौड़ने की ज़रूरत नहीं है, बस कुछ छोटी-छोटी आदतें बदलनी हैं:
हर 30 मिनट में उठें: अपने फोन में हर आधे घंटे का अलार्म लगाएं। अलार्म बजते ही उठें, 2 मिनट के लिए चलें, थोड़ा स्ट्रेच करें और फिर आकर बैठें।
'वॉक एंड टॉक': फोन पर बात करते समय टहलने की आदत डालें।
सीढ़ियों का इस्तेमाल करें: लिफ्ट की जगह सीढ़ियों को अपना दोस्त बनाएं।
खड़े होकर काम करें: अगर संभव हो, तो कुछ देर खड़े होकर काम करने की कोशिश करें।
यह समझना ज़रूरी है कि जिम में 1 घंटा पसीना बहाना भी उस नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता, जो आप दिन भर 8 घंटे बैठकर अपने शरीर को पहुंचाते हैं। अगली बार जब आप अपनी कुर्सी पर आराम से बैठें, तो एक बार ज़रूर सोचिएगा - कहीं यह आराम आपकी सेहत की कीमत पर तो नहीं आ रहा?
 
                    
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