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अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी तनाव और अमेरिका की आर्थिक नीतियों में अनिश्चितता के बीच सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। मंगलवार सुबह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमत ₹99,178 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई, जो अब तक का रिकॉर्ड उच्च स्तर है। यह तेजी मुख्य रूप से अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बीच ब्याज दरों को लेकर चल रही तनातनी और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के कारण आई है।

डॉलर कमजोर, सोना मजबूत

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी और करेंसी प्रमुख अनुज गुप्ता का कहना है कि अमेरिकी डॉलर इस समय पिछले तीन वर्षों के सबसे निचले स्तर पर है। इसकी बड़ी वजह है राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल में फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल की तीखी आलोचना। ट्रंप ब्याज दरों में तुरंत कटौती चाहते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को समर्थन मिल सके, जबकि पॉवेल अपनी नीति पर अडिग नजर आ रहे हैं। इस सार्वजनिक मतभेद ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया है और उन्होंने सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर रुख कर लिया है।

MCX पर सोना रिकॉर्ड स्तर पर

मंगलवार को MCX पर जून 2025 एक्सपायरी का गोल्ड फ्यूचर ₹98,753 प्रति 10 ग्राम पर खुला और कुछ ही मिनटों में ₹99,178 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। यह इंट्राडे हाई था और सोने की कीमतों के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड बना। इस बढ़त की सबसे बड़ी वजह रही अमेरिका-चीन व्यापार विवाद और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाएं, जिसने निवेशकों को सोने की ओर खींचा।

ट्रंप-पॉवेल के बीच टकराव ने बढ़ाया तनाव

डेवेरे ग्रुप के सीईओ निगेल ग्रीन ने इसे सीधे तौर पर ट्रंप और पॉवेल के बीच चल रहे खुले टकराव से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप खुलकर चाहते हैं कि फेड जल्द से जल्द ब्याज दरों में कटौती करे ताकि आर्थिक गतिविधियों को बल मिल सके। वहीं पॉवेल इससे सहमत नहीं हैं और वे फेड की स्वायत्तता को बरकरार रखने पर जोर दे रहे हैं। इस वजह से दोनों के बीच मतभेद अब सार्वजनिक रूप से सामने आ चुके हैं।

एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष और रिसर्च एनालिस्ट जतीन त्रिवेदी ने बताया कि हफ्ते की शुरुआत में ही सोने में तेज खरीदारी देखी गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार यानी कॉमेक्स में सोना 3500 डॉलर के करीब पहुंच गया है, जो इस बात का संकेत है कि निवेशक सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोने में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

आगे क्या हो सकता है?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रंप और पॉवेल के बीच तनाव और बढ़ता है, तो डॉलर पर दबाव बना रहेगा और इससे सोने की कीमतों में और तेजी आ सकती है। साथ ही अगर वैश्विक आर्थिक हालात और बिगड़ते हैं, तो सोने की मांग में और उछाल देखने को मिल सकता है।

कुल मिलाकर, मौजूदा वैश्विक और अमेरिकी राजनीतिक हालात ने सोने को एक बार फिर सबसे विश्वसनीय निवेश माध्यम बना दिया है, और यह तेजी आगे भी जारी रह सकती है।