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Woman Says Husband Not make Relation: हाल ही में एक तलाक के मामले में केरल हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें पत्नी के आरोप को सही मानते हुए पारिवारिक कोर्ट के तलाक के आदेश को बरकरार रखा। पत्नी ने दावा किया था कि उसके पति को सेक्स में कोई रुचि नहीं थी और वह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं में इतना व्यस्त था कि दफ्तर से लौटने के बाद वह सिर्फ मंदिर और आश्रम ही जाता था। इसके अलावा, उसने अपनी पत्नी को भी अपने आध्यात्मिक जीवन को अपनाने पर मजबूर किया, जिससे उसकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ा।

मामला क्या है?

ये मामला एक कपल के बीच के वैवाहिक जीवन में उत्पन्न तनाव से जुड़ा है। 2016 में कोर्ट मैरिज करने वाले इस कपल की शादी में काफी समय बाद परेशानी शुरू हुई। पत्नी ने इल्जाम लगाया कि उसके पति की रुचि सिर्फ आध्यात्मिक प्रथाओं में थी, और वह शारीरिक संबंध या बच्चे पैदा करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखता था। उसके पति का ध्यान सिर्फ मंदिर और आश्रम जाने पर था।

कोर्ट का फैसला

केरल हाई कोर्ट की बेंच में जस्टिस देवन रामचंद्रन और एमबी स्नेलता शामिल थे, उन्होंने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि शादी एक साथी को दूसरे जीवनसाथी की व्यक्तिगत मान्यताओं को निर्देशित करने का अधिकार नहीं देती है, चाहे वह आध्यात्मिक हो या कुछ और। अदालत ने यह भी कहा कि पत्नी को अपनी इच्छा के विरुद्ध आध्यात्मिक जीवन जीने पर मजबूर करना मानसिक क्रूरता का एक रूप है। इसने ये भी माना कि पति का वैवाहिक कर्तव्यों को न निभाना और पत्नी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करना तलाक का एक सही आधार है।

अदालत ने ये माना कि कोई भी ठोस वजह नहीं थी, जिसके चलते पत्नी के आरोपों पर विश्वास न किया जाए। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) के तहत मानसिक क्रूरता को तलाक का एक कारण माना जाता है और ये मामला इस धारा के तहत फिट बैठता था।

पत्नी ने क्यों लिया तलाक?

पत्नी ने पहले 2019 में तलाक की याचिका दायर की थी, मगर उसके पति ने वादा किया था कि वो अपने व्यवहार में बदलाव लाएगा, जिसके बाद उसने याचिका वापस ले ली। हालांकि, उसके बाद भी पति का व्यवहार नहीं बदला और पत्नी ने 2022 में फिर से तलाक की याचिका दायर की। उसने जज को बताया कि पति की आध्यात्मिक प्रथाओं में कोई कमी नहीं आई और अब वह अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार की उम्मीद नहीं करती थी। फैमिली कोर्ट ने महिला की याचिका पर विचार करते हुए तलाक का आदेश दिया, जो बाद में हाई कोर्ट में भी बरकरार रखा गया।
 

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