img

Up Kiran, Digital Desk: बुलंदशहर की मिट्टी ने एक बार फिर रिश्तों के बिखराव की वह चीख सुनी है जो मेरठ के बहुचर्चित नीले ड्रम कांड के बाद हवाओं में तैरने लगी थी। रिश्तों की दीवारें सिर्फ दरारों से नहीं अब डर से ढहने लगी हैं। नीले रंग के एक साधारण दिखने वाले प्लास्टिक ड्रम ने एक बार फिर परिवार की परिभाषा बदल दी है।

इस बार कहानी थाना अहमदगढ़ क्षेत्र के एक गांव की है जहां तीन बेटियों की मां जो कभी एक सीधी-सादी गृहिणी थी अचानक अपने पति के भतीजे के प्यार में गिरफ़्तार हो गई। मोहल्ले की गलियों में यह प्रेम धीरे-धीरे फुसफुसाहटों से होता हुआ लपट बन गया। एक दिन जब पति ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में रंगे हाथों पकड़ लिया तो उसने एक सुलह की उम्मीद की थीपर जो मिला वह था धमकी और वो भी नीले ड्रम में जमा देने की।

रातें अब खामोश नहीं थीं बल्कि डर से थरथराती थीं

पत्नी की आँखों में अब पछतावे की जगह विद्रोह था। उसकी ज़ुबान से निकला हर शब्द जैसे पति की आत्मा पर हथौड़े जैसा गिरता था। और फिर वह चेतावनी"अगर रोका तो तुम्हें भी नीले ड्रम में ठिकाने लगा दूंगी… और तुम्हारे परिवार को भी नहीं छोड़ूंगी।”

यह सुनते ही वह आदमीएक सीधा-साधा गांव में मेहनत-मजदूरी कर पेट पालने वाला इंसानअंदर से टूट गया। ना पुलिस ना पंचायत ना समाजअब उसे सिर्फ अपनी बेटियों और खुद की जान बचाना जरूरी लगा।

बुधवार की सुबह वह अपने कांपते हाथों से अपनी पत्नी को लेकर थाने पहुंचा। उसकी आँखों में आँसू नहीं थेवह थक चुका था रोने से। उसने दोनों के सिर पर हाथ रखा जैसे कोई बाप अपनी बेटी की विदाई करता है। पत्नी के इरादे स्पष्ट थेवह प्रेमी के साथ ही रहना चाहती थी। पति ने पुलिस को एक सहमति पत्र सौंपा जिसमें साफ लिखा था कि वह अब इस रिश्ते से अलग हो रहा है और पत्नी को उसकी मर्ज़ी से जाने दे रहा है।

पुलिस ने प्रेमी का शांतिभंग में चालान किया पर अगले ही दिन ज़मानत मिलने के बाद वह महिला और उसकी तीनों बेटियों को लेकर नोएडा चला गया। यह कोई कानूनी लड़ाई नहीं थीयह डर के साए में लिया गया एक चुपचाप समझौता था।

--Advertisement--