
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण खोज करते हुए एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से लड़ने के लिए एक नई दवा विकसित की है। यह दवा ‘कंपाउंड 3b’ (Compound 3b) नामक एक यौगिक है, जिसे नॉर्वे की UiT आर्कटिक यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर विकसित किया गया है।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस आज वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है, जिसमें बैक्टीरिया परंपरागत दवाओं पर असर दिखाना बंद कर देते हैं। लेकिन Compound 3b इस समस्या के समाधान की दिशा में एक नई उम्मीद जगाता है।
यह यौगिक विशेष रूप से KPC-2 नामक एंजाइम को निष्क्रिय करता है, जो Klebsiella pneumoniae जैसे खतरनाक बैक्टीरिया को एंटीबायोटिक्स से बचाता है। दवा की संरचना में बोरॉनिक एसिड बेस का प्रयोग किया गया है, जो इसे बैक्टीरिया से लड़ने में प्रभावी और सुरक्षित बनाता है।
प्री-क्लिनिकल अध्ययन के दौरान यह देखा गया कि जब Compound 3b को मेरोपेनेम जैसी एंटीबायोटिक के साथ उपयोग किया गया, तो चूहों में संक्रमण की तीव्रता में काफी कमी आई। इससे पता चलता है कि यह दवा मौजूदा एंटीबायोटिक्स को दोबारा प्रभावी बना सकती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस दवा का उपयोग भविष्य में गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शंस के इलाज में किया जा सकता है, विशेष रूप से उन मामलों में जहां मौजूदा एंटीबायोटिक्स काम नहीं कर रहीं। हालांकि, अभी इसे इंसानी परीक्षणों से गुजरना बाकी है।
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